नई दिल्ली। ट्विटर के सीईओ जैक डोर्सी के इस्तीफे के बाद भारतीय मूल के पराग अग्रवाल को ट्विटर के नए CEO के तौर पर जिम्मेदारी दी गई है। पराग अग्रवाल अभी तक कंपनी के सीटीओ की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। लेकिन CEO बनाये जाने के पहले ही दिन पराग अपने पुराने ट्वीट के कारण ट्रोल होने लगे हैं। अमेरिका में दक्षिणपंथी विचारधारा के लोगों ने पराग के पुराने ट्वीट को लेकर उन्हें ट्रोल कर रहे हैं। आइये जानते हैं कि आखिर क्या है पूरा मामला।
दरअसल पराग अग्रवाल ट्विटर के नए सीईओ बनाये गये हैं। इसके बाद उनकी चर्चा पूरी दुनिया में होने लगी। कुछ लोगों बे पराग अग्रवाल को ट्रोल करना शुरू कर दिया। जिस ट्वीट को लेकर पराग अग्रवाल सोशल मीडिया पर ट्रोल किये जा रहे हैं वो ट्वीट उन्होंने 26 अक्टूबर 2010 को किया था। हालांकि उस वक्त उन्होंने ट्विटर जॉइन नहीं की थी। ट्वीट करते हुए पराग ने लिखा था कि अगर वे मुसलमानों और चरमपंथियों के बीच भेद नहीं करने वाले, तो मैं गोरे लोगों और नस्लवादियों के बीच अंतर क्यों करूं? हालांकि, अग्रवाल अपने ट्वीट में खुद ये साफ किया था कि वे सिर्फ आसिफ मांडवी की पंक्तियों को ही शेयर कर रहे हैं।
अब इस ट्वीट को लेकर पराग कुछ लोगों के निशाने पर आ गये हैं। इसके पीछे भी वजह है। आपको बता दें कि अमेरिका में दक्षिणपंथी विचारधारा के लोग ट्विटर पर उनकी आवाज को दबाने का आरोप लगाते रहे हैं। उनका कहना है कि पराग अग्रवाल अब इसको और आगे बढ़ाने वाले हैं, मतलब उन्हें आशंका है कि पराग के आने से दक्षिणपंथी विचारधारा पर ट्विटर का रुख और सख्त हो सकता है। इसी वजह से अब पराग को लोग ट्रोल कर रहे हैं। इतना ही नहीं, जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का अकाउंट ट्विटर ने सस्पेंड किया था तब अभी दक्षिणपंथी विचारधारा वाले लोगों ने ट्विटर का बहिष्कार किया था और लोकल सोशल साइट्स को बढ़ावा देने की बात कही थी।
CEO बनाए जाने पर गौरव अग्रवाल ने कहा कि ‘मैं 10 साल पहले इस कंपनी से जुड़ा था जब कंपनी में 1,000 से भी कम कर्मचारी थे। इस बात को एक दशक हो गए हैं लेकिन ऐसा लगता है कि यह कल की ही बात है।’ पराग ने साल 2011 में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में ट्विटर जॉइन किया था। बाद में वे कंपनी के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर बन गए. पराग अग्रवाल ने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई IIT Bombay से की।