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Parliament Record: सांसद के तौर पर अखिलेश यादव की तुलना में योगी आदित्यनाथ का संसद में प्रदर्शन रहा बेहतर

Yogi Adityanath: उत्तर प्रदेश के सांसदों ने राष्ट्रीय औसत 21.2 के मुकाबले औसतन 25.4 बहसों में भाग लिया। अखिलेश यादव ने केवल चार वाद-विवाद (डिबेट) में भाग लिया। वहीं इस मामले में सोनिया गांधी का रिकॉर्ड और भी खराब है और उन्होंने केवल एक बार ही डिबेट में हिस्सा लिया।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के विपरीत, वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब सांसद थे, तो वे काफी सक्रिय थे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रति सहानुभूति रखने वाले लेखक एवं नीति विश्लेषक शांतनु गुप्ता के शोध के अनुसार, उदाहरण के तौर पर 2014-2017 (16वीं लोकसभा) को देखें तो पाएंगे कि इस दौरान, आदित्यनाथ ने राष्ट्रीय औसत 50.6 के मुकाबले 57 बहसों में भाग लिया था। गुप्ता ने कहा कि उस दौरान योगी ने 199 के राष्ट्रीय औसत के मुकाबले 306 सवाल पूछे और उस अवधि के दौरान 1.5 के राष्ट्रीय औसत के मुकाबले तीन प्राइवेट मेंबर बिल पेश किए। उपस्थिति, पूछे गए सवाल, बहस और निजी सदस्य विधेयक के चारों मामलों में अखिलेश यादव का संसद में प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। गुप्ता ने कहा कि वह न तो राज्य में जमीनी स्तर पर दिखते हैं और न ही संसद में मौजूद हैं। इसके विपरीत, कोविड की दूसरी लहर के दौरान, आदित्यनाथ, कोविड-19 से ठीक होने के बाद, ग्राउंड जीरो पर दिखने लगे थे।

CM yogi Namsate
आदित्यनाथ ने दो सप्ताह के भीतर कई जिलों की निगरानी की। अपने दौरे के दौरान वह अखिलेश यादव के गृह नगर सैफई (इटावा) और अखिलेश के लोकसभा क्षेत्र आजमगढ़ भी गए। गुप्ता ने कहा, इसी अवधि के दौरान अखिलेश ने खुद को लखनऊ में अपने महलनुमा घर में बंद कर लिया और खुद को केवल ट्वीट करने तक सीमित कर लिया। मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव को लग्जरी कारों, महंगी साइकिलों और विदेश में छुट्टियां मनाने का काफी शौक है।

गुप्ता के अनुसार, संसद में 36 प्रतिशत उपस्थिति और शून्य प्रश्नों के साथ, अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश से सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले सांसद हैं। उत्तर प्रदेश के सांसदों में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की उपस्थिति सबसे कम है। इस अवधि में 44 प्रतिशत उपस्थिति के साथ सोनिया गांधी का राज्य के सांसदों के बीच दूसरा सबसे खराब उपस्थिति रिकॉर्ड है।

Sonia Gandhi Akhilesh yadav
उत्तर प्रदेश के सांसदों ने राष्ट्रीय औसत 21.2 के मुकाबले औसतन 25.4 बहसों में भाग लिया। अखिलेश यादव ने केवल चार वाद-विवाद (डिबेट) में भाग लिया। वहीं इस मामले में सोनिया गांधी का रिकॉर्ड और भी खराब है और उन्होंने केवल एक बार ही डिबेट में हिस्सा लिया। उल्लेखनीय है कि भाजपा के पुष्पेंद्र सिंह चंदेल ने 510 बहसों में और बसपा के मलूक नागर ने 139 बहसों में भाग लिया, जो राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है। उत्तर प्रदेश के सांसदों ने औसतन 0.3 निजी सदस्य बिल पेश किए जो राष्ट्रीय औसत के बराबर है। अखिलेश यादव और सोनिया गांधी ने संसद में कोई निजी सदस्य बिल पेश नहीं किया। उत्तर प्रदेश के केवल 9 सांसदों ने संसद में निजी सदस्य विधेयक पेश किए और ये सभी 9 सांसद भाजपा के हैं। उल्लेखनीय है कि भाजपा के पुष्पेंद्र सिंह चंदेल, अजय मिश्रा टेनी और रवींद्र श्यामनारायण ने इस अवधि में चार-चार निजी सदस्य बिल पेश किए, जो राष्ट्रीय औसत से काफी ऊपर है।