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हरितालिका तीज का त्योहार आज, जानें इसकी शुरुआत और महत्व

हरितालिका तीज (Haritalika Teej) का त्यौहार देशभर में मनाया जा रहा है। इस मौके पर महिलाएं अखंड सुहाग के लिए निर्जला व्रत (Fast) रखती हैं। हम आपको इसकी शुरुआत और महत्व के बारे बताते हैं।

नई दिल्ली। यूं तो भारत देश में रोज कोई त्यौहार (Festival) या पर्व मनाया जाता है। लेकिन आज एक ऐसा त्यौहार मनाया जा रहा है जो महिलाओं के लिए अखंड सुहाग का प्रतिक है। हरितालिका तीज (Haritalika Teej) का त्यौहार देशभर में मनाया जा रहा है। इस मौके पर महिलाएं अखंड सुहाग के लिए निर्जला व्रत (Fast) रखती हैं।पारंपरिक रूप से व्रत पूजन (Fast worship) के लेकर गुरुवार को घरों में तैयारी की गई। इस व्रत और त्यौहार के लिए महिलाओं ने साज-शृंगार और पूजन सामग्री की खरीदारी की। पहली बार व्रत रहने वाली महिलाओं और कन्याओं में ज्यादा उत्साह है।

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हरितालिका तीज की शुरुआत और महत्व

इस अवसर पर व्रती महिलाएं भगवान शिव और पार्वती का विधिविधान से पूजन करेंगी। पुराणों के मुताबिक इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए किया था। इसी दिन पार्वती जी ने व्रत रखकर शिव जी को प्राप्त किया था। इसलिए इस दिन शिव पार्वती की पूजा का विशेष विधान है। जो कुंवारी कन्याएं अच्छा पति चाहती हैं या जल्दी शादी की कामना करती हैं उन्हें भी आज के दिन व्रत रखना चाहिए। इससे उनके शीघ्र विवाह का योग बनता है।

व्रत पूजन विधान

अवध नारायण के अनुसार व्रती महिलाओं को एक पवित्र चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती की आकृति बनाकर पूजन करें।

Lord Shiva With Maa Durga & Maa Kali1

जलेबी का सेवन कर व्रत पारण की परंपरा

हरितालिका तीज व्रत का पारण करने की शहर में एक खास परंपरा है। यानी व्रत के अगले दिन ताजी जलेबी और दही सेवन कर महिलाएं पारण करती हैं। शनिवार को बाजार बंद होने से जलेबी मिलना मुश्किल होगा। दारागंज की अनुपमा पांडेय ने बताया जलेबी के बजाय मेवा और चासनी से तैयार विशेष मिष्ठान का सेवन कर पारण करेंगी। पुष्पा पांडेय ने बताया कि घर पर ही पकवान तैयार करके पारण करेंगी।

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क्यों मनाया जाता है ये त्यौहार

हरतालिका तीज व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने शंकर भगवान को पति के रूप में पाने के लिए भूखे-प्यासे रहकर तपस्या की थी। माता पार्वती ने भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन हस्त नक्षत्र में रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और रात भर जागकर भोलेनाथ की आराधना की। माता पार्वती का ये कठोर तप को देखकर शंकर भगवान ने उन्हें दर्शन दिए। भोलेशंकर ने पार्वती जी को अखंड सुहाग का वरदान दिया और अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया।