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International Widows Day 2021: दुनियाभर में आज मनाया जा रहा है विधवा दिवस, जाने इसे मनाए जाने का उद्देश्य

International Widows Day 2021: दुनियाभर में विधवा महिलाों की स्थिति आज भी काफी चिंताजनक है। उन्हें समाज की लाखों कुरीतियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में उन्हें वो हक नहीं मिल पाता, जिसको वो हकदार हैं।

नई दिल्ली। 23 जून को विश्वभर में अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस मनाया जा रहा है। इसको लेकर दुनियाभर में विधवा के रूप में जीवन बिता रहीं सेल्फ डिपेंडेंट महिलाओं के प्रति लोग आदर भाव प्रकट कर रहे हैं। बता दें कि इस दिवस को मनाए जाने के पीछे सभी उम्र, क्षेत्र और संस्कृति की विधावा महिलाओं की स्थिति को एक खास विशेष पहचान दिलाना कारण है। वहीं 23 जून 2011 को पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस मनाने की घोषणा की थी। उसके बाद से हर वर्ष इस दिन को 23 जून को यह दिवस मनाया जाता है। मालूम हो कि पूरे विश्व की विधवा महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार पर ब्रिटेन की लूंबा फाउंडेशन पिछले 7 सालों से संयुक्त राष्ट्र संघ में अभियान चला रही है। अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस को मनाने का एक कारण यह भी है कि पूरी दुनिया में विधवा महिलाओं की स्थिति में सुधार आए, जिससे वे अपनी बाकी की जिंदगी भी सामान्य लोगों की तरह जी सकें। उन्हें समाज में गलत निगाह से देखा ना जाए और उनको भी बराबरी का अधिकार प्राप्त मिले। दरअसल हमारा समाज भले ही तरक्की के झंडे बुलंद कर रहा हो लेकिन सच यह है कि आज भी विधवा को बराबरी की नजर से नहीं देखा जाता है।

Widow day

विधवा महिलाओं की स्थिति काफी चिंताजनक

दुनियाभर में विधवा महिलाों की स्थिति आज भी काफी चिंताजनक है। उन्हें समाज की लाखों कुरीतियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में उन्हें वो हक नहीं मिल पाता, जिसको वो हकदार हैं। बता दें कि विश्व में लाखों विधवाओं को गरीबी, हिंसा, बहिष्कार, बेघर, बीमार, स्वास्थ्य जैसी समस्याएं और कानून व समाज में भेदभाव सहना करना पड़ता है। एक आंकड़ें मुताबिक जानकारी मिली है कि, लगभग 115 मिलियन विधवाएं ऐसा हैं जो गरीबी में रहने को मजबूर हैं, जबकि 81 मिलियन महिलाएं ऐसी हैं जिनका समाज में शारिरिक शोषण होता है।

Widow day women

भारत की क्या स्थिति है?

वहीं, विधवाओं को लेकर अगर भारत की बात करें, तो मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि भारत में लगभग चार करोड़ से ज्यादा विधवा महिलाएं हैं। इन महिलाओं में आज भी समाज में मदद की जरूरत और, बराबरी का हक देने की आवश्यकता है। यहां आज भी विधवा महिलाएं अपने अधिकारों को नहीं पाती। हालांकि इनकी इस स्थिति के जिम्मेदार कही न कहीं हम ही हैं, क्योंकि हम अक्सर भूल जाते हैं कि, विधवा महिलाएं भी हमारे ही समाज और देश का हिस्सा हैं। इसलिए हर किसी को इनका सम्मान करना चाहिए।