newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

शोधकर्ताओं का कमाल: पेट के घावों का इलाज करने के लिए निकाला ये तरीका, यहां देखें

चीनी वैज्ञानिकों (Chinese scientists) ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक बड़ी सफलता हासिल की है। दावा है कि चीन के शोधकतार्ओं (Researchers) ने एक माइक्रोरोबोट (Microrobot) का इस्तेमाल कर गैस्ट्रिक घावों (Gastric Lesions) के इलाज का एक नया तरीका इजाद किया (New Treatment of Stomach Wounds) है।

नई दिल्ली। चीनी वैज्ञानिकों (Chinese scientists) ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक बड़ी सफलता हासिल की है। दावा है कि चीन के शोधकतार्ओं (Researchers) ने एक माइक्रोरोबोट (Microrobot) का इस्तेमाल कर गैस्ट्रिक घावों (Gastric Lesions) के इलाज का एक नया तरीका इजाद किया (New Treatment of Stomach Wounds) है।

stomach wounds treatment

यह सब बायोप्रिंटिंग (Bioprinting) के जरिए किया गया है। बायोफेब्रिकेशन पत्रिका में प्रकाशित एक शोध में इसका खुलासा हुआ है। डॉक्टरों के मुताबिक, पाचन तंत्र में गैस्ट्रिक दीवार की चोट या घाव एक आम समस्या है, जिसके लिए अक्सर ड्रग थेरेपी या इनवेसिव सर्जरी की आवश्यकता होती है। माना जा रहा है कि अब मरीजों को इस तरह की झंझट से निजात मिल सकेगी।

इस नए शोध के अनुसार, अब बायोप्रिंटिंग के माध्यम से टिश्यूज यानी ऊतकों की मरम्मत के लिए सीधे घाव वाली जगह पर नई कोशिकाओं को पहुंचाया जा सकेगा। यह पेट की समस्याओं से जूझ रहे लाखों लोगों के लिए वरदान साबित हो सकता है।

stomach wounds

चीन की राजधानी बीजिंग स्थित छिंगुहा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इन सिटी इन विवो बायोप्रिंटरिंग की एक नई अवधारणा को जन्म दिया है। इसके साथ ही उन्होंने एक माइक्रो-रोबोट तैयार किया है, जो ऊतकों की मरम्मत के लिए एंडोस्कोप के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है।

बताया जाता है कि इन वैज्ञानिकों ने इंसानी पेट के जैविक मॉडल और प्रविष्टि और बायोप्रिंटिंग ऑपरेशन की नकल करने के लिए एंडोस्कोप के साथ माइक्रोरोबोट और डिलीवरी सिस्टम का परीक्षण किया। उन्होंने सेल कल्चर डिश में एक बायोप्रिंटर परीक्षण किया, जिसका मकसद यह पता लगाना था कि यह तरीका कोशिकाओं और घावों को ठीक करने में कितना प्रभावी है।

परीक्षणों से यह पता चला कि मुद्रित कोशिकाएं उच्च व्यवहार्यता और स्थिर प्रसार पर बनी हुई हैं, जो मुद्रित ऊतक में कोशिकाओं के अच्छे जैविक कार्य का भी संकेत देती हैं। इस शोध में शामिल चीनी शोधकर्ता श्वी थाव के मुताबिक, रिसर्च ने गैस्ट्रिक दीवार की चोटों के इलाज के लिए इस अवधारणा की व्यवहार्यता को सत्यापित किया है और बिना किसी बड़ी सर्जरी के शरीर के अंदर विभिन्न प्रकार के घावों के उपचार के लिए व्यापक संभावना पैदा की है।

हालांकि उन्होंने कहा कि इस बाबत अभी और कुछ काम करने की आवश्यकता है, जिसमें बायोप्रिंटिंग प्लेटफॉर्म के आकार को कम करना और बायोइंक का विकास करना शामिल है। उन्होंने यह भी कहा कि सिस्टम के विकास में बायोलॉजिकल मैन्यूफैक्च रिंग, थ्री-डी प्रिंटिंग और मैकेनिक्स आदि प्रमुख हैं। कहा जा सकता है कि चीनी वैज्ञानिकों ने दुनिया में पेट की बीमारियों से परेशान तमाम मरीजों के लिए उम्मीद की किरण जगा दी है। अगर ऐसा संभव हुआ तो बिना ऑपरेशन के ही पेट के अंदर की तमाम रोगों का इलाज हो सकेगा।