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Coronavirus india: कोरोनावायरस पर काबू के लिए स्मोकिंग जोन पर लगे पाबंदी

Coronavirus india: दुनिया भर में तबाही मचाने वाले कोरोनावायरस से लड़ाई में अब भारत में सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान को पूरी तरह से पाबंदी लगाने की मांग उठने लगी है। देश के शीर्ष स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि हवाई अड्डों, होटलों और रेस्टोरेंट में बनाए गए विशेष धूम्रपान क्षेत्रों या स्पेशल स्मोकिंग एरिया (डीएसए) से कोरोना के फैलने का खतरा बढ़ जाता है।

नई दिल्ली। दुनिया भर में तबाही मचाने वाले कोरोनावायरस से लड़ाई में अब भारत में सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान को पूरी तरह से पाबंदी लगाने की मांग उठने लगी है। देश के शीर्ष स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि हवाई अड्डों, होटलों और रेस्टोरेंट में बनाए गए विशेष धूम्रपान क्षेत्रों या स्पेशल स्मोकिंग एरिया (डीएसए) से कोरोना के फैलने का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही इनसे सेकेंड हैंड स्मोकिंग यानी अप्रत्यक्ष धूम्रपान का खतरा भी काफी रहता है, इसलिए इन्हें तुरंत बंद कर देना चाहिए। इस मांग को राजनीतिक समर्थन भी मिल रहा है।

Corona Smoking Zone

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वरिष्ठ विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ. रमन गंगाखेडकर ने इन स्मोकिंग एरिया (डीएसए) पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए कहा, “ऐसा देखा गया है कि इन क्षेत्रों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं होता। धुएं से भरी इन जगहों पर लोग अपने मास्क उतारते हैं और धूम्रपान करते रहते हैं। इन जगहों पर कोरोनावायरस के लंबे समय तक बने रहने का खतरा रहता है। ऐसे में इस बात की ज्यादा आशंका रहती है कि यहां आने वाले लोग वायरस फैलाने में ज्यादा मददगार हों।”

उन्होंने कहा, “ऐसे स्मोकिंग जोन में कोविड-19 के सुरक्षा मानकों की अनदेखी से वायरस के तेजी से फैलने का खतरा हमेशा बना रहता है। खासकर तब जब हम कोरोना महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहे हैं।” डॉ. गंगाखेडकर के मुताबिक, “इसके अलावा नए रिसर्च बताते हैं कि गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) से पीड़ित लोगों के कोविड-19 से संक्रमित होने का खतरा ज्यादा है। साथ ही गैर-संचारी रोगों के फैलने का एक प्रमुख कारण तंबाकू है। ऐसे में अप्रत्यक्ष रूप से धूम्रपान करने वालों के कोविड-19 से प्रभावित होने का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही ऐसे लोगों की कोविड-19 से मौत होने का जोखिम धूम्रपान नहीं करने वालों की तुलना में दोगुना बढ़ जाता है। इससे स्वास्थ्य सेवा पर बोझ भी बढ़ता है।”


यह बात उन्होंने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ‘स्पीकइन’ की ओर से “सौ फीसदी धूम्रपान मुक्त सार्वजनिक जगह – चुनौतियां और समाधान” विषय पर आयोजित वेबिनार में कही। डॉ. रमन गंगाखेडकर आईसीएमआर के महामारी और संचारी रोग विभाग के प्रमुख रहे हैं। अब वे यहां डॉ. सीजी पंडित नेशनल चेयर के तौर पर कार्यरत हैं। साथ ही वे कोविड-19 पर केंद्र सरकार की नेशनल टास्क फोर्स के सदस्य हैं। पिछले साल देश में कोरोना जब अपने चरम पर था तब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कोरोना को लेकर होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस में वे सरकार के प्रमुख चेहरे के रूप में नजर आते थे।

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भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और प्रसिद्ध अर्थशास्त्री गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने भी कुछ इसी तरह के विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा, “कोविड-19 को देखते हुए स्वास्थ्य विषय को काफी महत्व मिला है। ऐसे समय में लोगों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि धूम्रपान के लिए बनाई जाने वाली ऐसी विशेष जगहों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाए। ऐसे क्षेत्र धूम्रपान न करने वालों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं।” उन्होंने कहा, “इस बारे में जनता की राय भी ली जानी चाहिए क्योंकि कई बार धूम्रपान को लोगों का निजी मामला बता दिया जाता है। मगर यह नहीं भूलना चाहिए कि सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान से ऐसे लोगों के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है, जो धुम्रपान नहीं करते हैं।” सौ फीसदी धूम्रपान मुक्त सार्वजनिक स्थलों का समर्थन करने के लिए उन्होंने लोगों से भी आगे आने को कहा।


वेबिनार में उत्तर प्रदेश हॉस्पिटैलिटी एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. जीपी शर्मा ने इस बात पर सहमति जताई कि उत्तर भारत के राज्यों में तंबाकू की ज्यादा खपत होती है जो कैंसर का बड़ा कारण है। उन्होंने कहा, “इसे देखते हुए हम होटल और रेस्तरां मालिकों के साथ-साथ तंबाकू पीड़ितों और अन्य लोगों को तंबाकू के खतरों के बारे में जागरूक कर रहे हैं। हम सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर पूर्ण प्रतिबंध का समर्थन करते हैं। हाल के समय में हम देख रहे हैं कि हुक्का संस्कृति बढ़ रही है। यह भी हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, खासकर कोविड-19 के इस दौर में।”

सेकेंड हैंड स्मोकिंग की वजह से कैंसर की शिकार हो चुकी नलिनी सत्यनारायण ने कहा, “खाने की जगहों खासकर होटल, रेस्तरा और बार में बने धूम्रपान क्षेत्रों को पूरी तरह से बंद कर दिया जाना चाहिए। ये जगह तमाम पैसिव स्मोकर्स के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं।”


सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन तथा व्यापार और वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति और वितरण) अधिनियम, 2003 (COTPA) की खामियों के बारे में वरिष्ठ पत्रकार पवन कुमार कहते हैं, “एक तरफ सरकार सार्वजनिक स्थल पर धुम्रपान करने वालों पर जुर्माना लगा रही है, वहीं दूसरी तरफ यह कानून होटलों और हवाई अड्डों पर धूम्रपान करने वालों को विशेष क्षेत्र बनाकर विशेषाधिकार दे रहा है ताकि वे सिगरेट पी सकें। हम सभी जानते हैं कि तंबाकू स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक है। हर साल 1.3 करोड़ से अधिक लोग तंबाकू की वजह से मारे जाते हैं। मेरा सुझाव है कि सरकार को सार्वजनिक और निजी स्थानों पर धूम्रपान पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा देना चाहिए।”


कॉटपा कानून की धारा 4 के तहत देश के उन सभी सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध है जहां लोगों का आना-जाना है। हालांकि इसी कानून में रेस्तरां, होटल और हवाई अड्डों पर धूम्रपान के लिए विशेष धुम्रपान क्षेत्र (डीएसए) बनाने की अनुमति दी गई है। इस कानून की मौजूदा खामियों को दूर करने के लिए सरकार ने अब इसमें संशोधन का प्रस्ताव किया है। इन प्रस्तावों में सार्वजनिक स्थानों पर विशिष्ट धूम्रपान क्षेत्र या डीएसए पर पाबंदी लगाने सहित कई और प्रावधान हैं जिनसे तंबाकू से होने वाली मौतों को रोकने में मदद मिल सकती है।

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शोधों से पता चलता है कि धूम्रपान न केवल व्यक्ति की रोग प्रतिरोधी क्षमता को कमजोर करता है और उन्हें गंभीर बीमारी व मौत की ओर ढकेलता है बल्कि पैसिव स्मोकर्स के लिए भी यह सुरक्षित नहीं है। ऐसा पाया गया है कि सिगरेट, बीड़ी और हुक्के का धुआं ऐसे लोगों के संपर्क में आने वालों में भी फेफड़ों का कैंसर, अस्थमा, निमोनिया और फेफड़ों की दूसरी बीमारियों का खतरा बढ़ाता है। विभिन्न आंकड़ों के अनुसार, फेफड़ों के कैंसर, ब्रोंकाइटिस और एम्फेसिमा से होने वाली मौतों में 80 फीसदी मौतें धूम्रपान की वजह से होती है। जबकि हृदय रोग से पीड़ित लोगों में से 17 प्रतिशत की मौतों का यह कारण बनता है। इसी तरह, हर तरह के कैंसर से होने वाली मौतों में से एक-चौथाई से अधिक मौतें धूम्रपान की वजह से होती है।