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What is Yo-Yo test: जानिए क्या है यो-यो टेस्ट? जिसके बिना टीम इंडिया के किसी भी खिलाड़ी को नहीं मिलेगी खेलने की अनुमति

What is Yo-Yo test: दरअसल, यो-यो टेस्ट के अंतर्गत कुल 23 लेवल होते हैं। खिलाड़ियों की असली अग्निपरीक्षा पांचवें लेवल के बाद शुरू होती है। पूरी शारीरिक स्थिति को सॉफ्टवेयर के जरिए रिकॉर्ड किया जाता है। इस तकनीक के अंतर्गत 20 मीटर की दूरी पंक्तियां बनाई जाती है।

नई दिल्ली। 2022 में टीम इंडिया के निराशाजनक प्रदर्शन के मद्देनजर आज नए वर्ष के प्रथम दिन यानी की 1 जनवरी 2023 को बीसीसीआई ने समीक्षा बैठक बुलाई। इस बैठक में बीसीसीआई अध्यक्ष रोजर बिन्नी, कप्तान रोहित शर्मा, कोच राहुल द्रविड, नेशनल क्रिकेट एकेडमी के प्रमुख वीवीएस लक्ष्मण और मौजूदा चयन समिति के प्रमुख चेतन शर्मा शामिल हुए। बैठक में गत वर्ष भारतीय टीम द्वारा कई सीरीज में हासिल हुई पराजय के मद्देनजर इस नूतन वर्ष में टीम इंडिया की जीत सुनिश्चित करने के लिए रोडमैप तैयार किया गया। कई ऐसे नियम निर्धारित किए गए जिसे अब मानने के लिए सभी खिलाड़ी बाध्य होंगे। आपको बता दें कि बैठक में अब सभी खिलाड़ियों को यो-यो टेस्ट और डेक्सा सेलेक्शन जैसे नियम का पालन करना होगा। इन नियमों का पालन किए बिना किसी भी खिलाड़ी को टीम में एंट्री नहीं मिलेगी। अब आपके जेहन में यह सवाल आ सकता है कि आखिर यो-यो टेस्ट क्या होता है? आपके इसी सवाल का जवाब हम आपको इस रिपोर्ट में देने जा रहे हैं।

जानिए क्या है यो-यो टेस्ट?

ध्यान रहे, किसी भी खिलाड़ी के लिए खेल में हिस्सा लेने से पूर्व उसका फिट रहना जरूरी होता है। कई बार खिलाड़ी खुद के फिट होने का दावा कर खेल में हिस्सा तो ले लेते हैं, लेकिन जब मैदान में दम दिखाने की बारी आती है, तो फिसड्डी साबित हो जाते हैं और अपेक्षित योगदान अपनी टीम के लिए नहीं कर पाते हैं। इसकी वजह कई बार खिलाड़ियों का अनफिट होना बताया जाता। अब ऐसी ही परिस्थितियों से बचने के लिए उक्त समीक्षा बैठक इस वर्ष खिलाड़ी को टीम में खिलाने से पूर्व उसका यो-यो टेस्ट कराने का निर्देश दिया गया है।

कैसा होता है यो-यो टेस्ट 

दरअसल, यो-यो टेस्ट के अंतर्गत कुल 23 लेवल होते हैं। खिलाड़ियों की असली अग्निपरीक्षा पांचवें लेवल के बाद शुरू होती है। पूरी शारीरिक स्थिति को सॉफ्टवेयर के जरिए रिकॉर्ड किया जाता है। इस तकनीक के अंतर्गत 20 मीटर की दूरी पर पंक्तियां बनाई जाती है। जिसके बाद खिलाड़ी को एक हिस्से से दूसरे हिस्से में दौड़ना होता है। कुल तीन कोने होते हैं। जहां कोन B से कोन C की दूरी 20 मीटर की होती है। खिलाड़ी को जैसे ही बीप की आवाज सुनाई देती है, वैसे ही उसे दौड़ लगाकर दूसरा बीप बजने से पहले कोन C को टच करके वापस आना पड़ता है, तीसरा बीप बजने से पहले खिलाड़ी को कोन B की लाइन पार करनी होती है।

नियम के मुताबिक कोन ए और बी के बीच पांच मीटर की दूरी होती है। ऐसे में दो वॉर्निंग के बाद खिलाड़ी टेस्ट में फेल हो जाता है। ये टेस्ट 5वें लेवल से शुरु होता है, जो 23वें लेवल तक चलता है। बता दें कि बीसीसीआई की अगुवाई में हुई आज की समीक्षा बैठक में उक्त फैसले को भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों के लिए जरूरी बनाया जाता है। बहरहाल, अब आगामी 2023 में होने वाली विभिन्न सीरीज में टीम इंडिया का प्रदर्शन कैसा रहता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।