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Tokyo Paralympic: नोएडा के डीएम सुहास एलवाई का सिल्वर पक्का, अब गोल्ड के लिए होगा मुकाबला

Tokyo Paralympic: टोक्यो पैरालंपिक में भारतीय शटलर और नोएडा के डीएम सुहास एलवाई ने सेतिवान फ्रेडी को हरा फाइनल में प्रवेश कर लिया है। सुहास एलवाई सिल्वर पक्का कर लिया है। अब वो गोल्ड के लिए मुकाबला खेलेंगे। टोक्यो पैरा ओलंपिक के पैरा बैडमिंटन मैच में सुहास एल यथिराज ने अपने पहले ही मैच की शुरूआत जीत के साथ की थी।

नई दिल्ली। Tokyo Paralympic में भारतीय शटलर और नोएडा के डीएम सुहास एलवाई ने सेतिवान फ्रेडी को हरा फाइनल में प्रवेश कर लिया है। सुहास एलवाई सिल्वर पक्का कर लिया है। अब वो गोल्ड के लिए मुकाबला खेलेंगे। टोक्यो पैरा ओलंपिक के पैरा बैडमिंटन मैच में सुहास एल यथिराज ने अपने पहले ही मैच की शुरूआत जीत के साथ की थी। जर्मनी के खिलाड़ी को हरा कर वो अगले ग्रुप मैच के लिए क्वॉलिफाई हुए। गुरुवार को उन्होंने टोक्यो में डेब्यू मैच खेला। जिसमें उनका मुकाबला जर्मनी के निकलास जे पोटे से था।

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पहले भी जीत चुके हैं कई खिताब

इससे पहले भी सुहास एलवाई कई खिताब अपने नाम कर चुके हैं। वो दुनिया के नंबर-3 बैडमिंटन प्लेयर हैं। साल 2018 में वाराणसी के पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में उन्होंने गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया था। वहीं साल 2016 में बीजिंग में हुए एशियाई पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में सुहास एलवाई इंटरनेशनल बैडमिंटन चैंपियनशिप जीतने वाले पहले भारतीय नौकरशाह भी बने थे। जीत के वक्त सुहास आजमगढ़ में डीएम थे। सुहास एलवाई साल 2007 में आईएएस अफसर बने थे और गौतमबुद्ध नगर के डीएम के रूप में वह करीब 1.5 साल से काम कर रहें हैं।


शुरुआत में IAS नहीं बनना चाहते थे सुहास

कर्नाटक के छोटे से शहर शिगोमा में जन्मे सुहास एलवाई (Suhas LY) जन्म से ही दिव्यांग (पैर में दिक्कत) थे। बचपन से ही उनका खेल के प्रति लगाव ज्यादा था। परिवार का भी उन्हें इसमें सहयोग मिला। पैर पूरी तरह फिट नहीं था, ऐसे में उन्हें समाज के ताने भी सुनने को मिलते थे लेकिन पिता और परिवार चट्टान की तरह उन तानों के सामने खड़े रहे। ऐसे में सुहास का हौंसला नहीं टूटा।

पिता की मौत के शुरू की UPSC की तैयारी

शुरुआती पढ़ाई गांव में हुई तो वहीं सुरतकर शहर से उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी से कम्प्यूटर साइंस में सुहास की इंजिनियरिंग पूरी हुई। साल 2005 में जब पिता की मौत हुई तो सुहास टूट गए। सुहास ने बताया कि उनके जीवन में पिता का स्थान काफी महत्वपूर्ण था, ऐसे में उन्हें हमेशा ही पिता की कमी खलती रही। ऐसे में उन्होंने ठान लिया कि अब उन्हें सिविल सर्विस ज्वाइन करनी है। फिर क्या था सब छोड़छाड़ कर उन्होंने UPSC की तैयारी शुरू की।