नई दिल्ली। भारत और श्रीलंका के बीच मोहाली में खेले जा रहे पहले टेस्ट मैच में भारतीय टीम के कप्तान रोहित शर्मा द्वारा लिए गए एक फैसले की जमकर आलोचना हो रही है। सोशल मीडिया पर लोग भारतीय टीम के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ और कप्तान रोहित शर्मा पर भड़के हुए नजर आ रहे हैं। क्या है पूरा मामला, तफ्सील से जानेंगे, उससे पहले टेस्ट मैच का अपडेट दिए देते हैं। 4 मार्च से शुरू हुआ ये टेस्ट मैच कोहली का सौंवा टेस्ट तो है ही, बतौर कप्तान रोहित का भी पहला टेस्ट है। आज मैच का दूसरा दिन है, और भारतीय टीम काफी मजबूत स्थिति में पहुंच चुकी है। टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी चुनने वाली टीम इंडिया ने अपनी पहली 574 रनों पर घोषित की, यहां तक पहुंचने के लिए टीम ने 8 विकेट खोए। भारत की ओर से 3 अर्द्ध शतक लगे और एक बड़ा शतक लगा, जो सर रवींद्र जडेजा के नाम रहा। जवाब में खेलने उतरी श्रीलंका की टीम ने भी अब तक मिली जानकारी के अनुसार 100 रनों का आंकड़ा पार कर लिया है, जबकि उसने तीन विकेट खो दिए है।
बहरहाल, ये तो था अपडेट मैच से जुड़ा हुआ, अब हम उस बात पर आते हैं कि क्यों सोशल मीडिया पर लोग टीम इंडिया के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ और कप्तान रोहित शर्मा को कोस रहे हैं। दरअसल आज जब टीम इंडिया ने अपनी पारी 574 रनों पर घोषित की, तो जडेजा 175 रन बनाकर खेल रहे थे। जडेजा जिस हिसाब से बल्लेबाजी कर रहे थे, सबको यकीन होने लगा था कि वे जल्द ही आसानी से अपना पहला दोहरा शतक जड़ देंगे। हालांकि, इससे पहले कि जडेजा के इस दोहरे शतक पर और कयास लगाए जाते, रोहित ने एक अजीबोगरीब फैसला लिया और भारतीय पारी घोषित कर दी। सब लोग अवाक्, ये क्या कर दिया। इसके बाद टी-ब्रेक भी ले लिया गया। सिलेबस से बाहर पूछे गए इस सवाल पर लोगों का भड़कना अब स्वाभाविक था, ऊपर से जब उन्होंने द्रविड़ को देखा तो वे और भड़के। उन्होंने द्रविड़ के उस एक फैसले को याद करना शुरू किया जो उन्होंने कप्तान रहते 2004 में पाकिस्तान दौरे पर लिया था। क्या हुआ था उस समय और द्रविड़ ने ऐसा क्या कर दिया था, आइए विस्तार से जानते हैं, इसके लिए हमें सन् 2004 में जाना होगा,जब भारतीय टीम ने करीब 15 साल बाद पाकिस्तान का दौरा किया था।
29 मार्च 2004 का वह दिन भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए कई मायनों में यादगार है। इसी दिन वीरेंद्र सहवाग ने टेस्ट क्रिकेट में तेहरा शतक जमाकर पहले भारतीय बल्लेबाज बनने का गौरव हासिल किया था। उस दिन मुल्तान में पाकिस्तानी गेंदबाजों की इतनी जबर्दस्त धुलाई हुई थी कि गेंद के साथ-साथ पाकिस्तानी गेंदबाजों के चेहरे भी सफेद नजर आ रहे थें।बहरहाल, 29 मार्च 2004 का दिन एक और वजहों से भी नहीं भूला जा सकता, इस दिन सहवाग ने तेहरा शतक जड़ इतिहास तो बनाया ही था, साथ ही राहुल द्रविड़ जो कि उस मैच में भारतीय टीम की कप्तानी कर रहे थे ने मैच में एक ऐसा डिसीजन लिया था, जिसकी चर्चा आज भी होती रहती है। द्रविड़ ने similarly वैसा ही निर्णय लिया था, जैसा कि आज रोहित शर्मा ने लिया। द्रविड़ ने उस मैच में तब पारी घोषित कर दी थी जब सचिन 194 रनों पर टिककर बल्लेबाजी कर रहे थें। द्रविड़ के उस डिसीजन की तब जमकर आलोचना हुई थी, और आज भी उनके उस निर्णय पर सवाल उठाए जाते रहे हैं।
आइए पूरे घटनाक्रम को विस्तार से समझते हैं।
सौरव गांगुली के चोटिल होने के बाद द्रविड़ को मुल्तान टेस्ट के लिए कप्तान बनाया गया था। यह मैच का दूसरा दिन था, चाय के विश्राम के बाद जबकि लगभग 15 ओवरों का खेल अभी बचा हुआ था तभी कोच जान राइट और कप्तान द्रविड़ ने तय किया कि वे भारत की पारी घोषित करेंगे। सचिन उस समय युवराज सिंह के साथ बल्लेबाजी कर रहे थें, सचिन को यह निर्देश दिया गया था कि वे कोशिश करें कि डिक्लेरेशन से पहले अपने दोहरे शतक तक पहुंच जाए, लेकिन जैसे ही युवराज सिंह आउट हुए, द्रविड़ ने पारी घोषित करने का फैसला किया, हालांकि अभी भी 15 ओवरों का खेल बचा हुआ था।
तेंदुलकर जो 194 रनों पर नाबाद थें, वे इस फैसले से खुश नहीं थे। उन्हें लगा था कि उनके पास एक ओवर और पड़ा हुआ है, जैसा कि टीम मैनेजमेंट ने उन्हें भरोसा दिया था। सचिन ने अपने बायोग्राफी में भी इस घटना का जिक्र किया है जो कि उस घटना के काफी बाद प्रकाशित हुई थी। उन्होंने उस घटना का जिक्र करते हुए लिखा था कि टीम मैनेजमेंट को उस समय यह देखना चाहिए था कि जब उस समय पारी घोषित की गई तो अंतिम ओवर में मुझे स्ट्राइक ही नहीं मिल पाई थी।
हालांकि द्रविड़ के पक्षों को देखें तो यह दलील दी गई थी कि तेंदुलकर को उनका दोहरा शतक पूरा करने के लिए उन्हें पर्याप्त समय दिया गया था, भारत के लिए यह जरूरी था उस समय पारी घोषित की जाए, और विपक्षी टीम को दबाव में लाया जाए। आज यही घटना सोशल मीडिया पर ट्रेंड होने लगी जब रोहित शर्मा ने भारतीय पारी घोषित की। लोग द्रविड़ पर आरोप लगाते हुए कह रहे हैं कि ये तो उनका पुराना नियम है। कोई कह रहा है कि द्रविड़ को दूसरों द्वारा दोहरा शतक लगाते देखना गवारा नहीं है।