दोहा। भारत, अमेरिका, चीन, उजबेकिस्तान, ब्रिटेन, कतर, जर्मनी, नॉर्वे, ताजिकिस्तान, तुर्की, तुर्कमेनिस्तान ने अफगानिस्तान में खूनी खेल में जुटे तालिबान आतंकियों को अब सीधी चेतावनी दी है। इन देशों ने साफ कह दिया है कि अफगानिस्तान में सैन्य बल से स्थापित की गई किसी भी सरकार को वे न तो मंजूरी देते हैं और न ही मान्यता देंगे। इन देशों के साथ बैठक में पाकिस्तान भी था, लेकिन ये सभी को पता है कि अफगानिस्तान में तालिबान के आतंक के पीछे उसका ही हाथ है। कतर की राजधानी दोहा में संयुक्त राष्ट्र के झंडे तले ये सभी देश इकट्ठा हुए। बैठक के बाद सभी देशों ने साझा बयान जारी किया। इन देशों ने कहा कि अफगानिस्तान में शांति स्थापना होनी चाहिए। इसके लिए सरकार और तालिबान एक-दूसरे को अपना प्रस्ताव दें। बयान में कहा गया है जल्द से जल्द दोनों पक्षों को जंग बंद कर देनी चाहिए। इसके अलावा राजनीतिक हल निकालने पर भी जोर दिया गया।
सभी 11 देशों ने अफगानिस्तान में जारी हिंसा, आम लोगों के बड़ी तादाद में मारे जाने और शहरों तथा कस्बों में हवाई हमलों पर चिंता जताई। उहोंने कहा कि अफगानिस्तान का फिर से निर्माण करना उनकी प्राथमिकता होगी। इन सभी देशों ने कहा कि देश को मिटाने की जगह बनाने के बारे में अफगान सरकार और तालिबान को सोचना चाहिए।
इस बीच, एक बार फिर अमेरिका और ब्रिटेन की सेनाएं अफगानिस्तान की धरती पर उतरने जा रही हैं। अमेरिका के 3000 जवान और ब्रिटेन के 600 जवान काबुल एयरपोर्ट पर पहुंचेंगे। दोनों देश अफगानिस्तान में अपने नागरिकों और दूतावास के स्टाफ को बाहर निकालने के लिए इन जवानों की मदद लेने जा रहे हैं। भारत पहले ही मजार-ए-शरीफ के अपने कॉन्सुलेट से स्टाफ को वापस ला चुका है।