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अफगानिस्तान पर कब्जा करने के एक हफ्ते बाद ही तालिबान के हाथ से निकले 3 जिले, विरोधी गुट ने तालिबान को खदेड़ा

Afghanistan: गौरतलब है कि, सरकार बनाने की कवायद में तालिबान अभी उलझा हुआ है, ऐसे में कई शीर्ष आतंकी कमांडर काबुल में इसलिए डेरा जमाए हुए हैं, कि वो तालिबान के शीर्ष नेतृत्व की आंखों में आ सके।

नई दिलली। तालिबान अफगानिस्तान के काबुल में भले ही कब्जा कर ये सपने देख रहा हो कि वो पूरे अफगानिस्तान पर राज करेगा लेकिन उसका ये सपना काबुल पर कब्जा करने के कुछ दिन बाद ही टूटता नजर आ रहा है। बता दें कि जहां एक तरफ तालिबान के डर से अफगानिस्तान के लोग अपना ही देश छोड़कर शरणार्थी बनने को मजबूर हो रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ अफगानिस्तान में 3 जिले ऐसे हैं जो तालिबान के चंगुल से तालिबान के विरोधियों द्वारा आजाद करा लिये गए हैं। बता दें कि बाघलान प्रांत में स्थानीय विरोधी गुटों ने बानू और पोल-ए-हेसर जिलों पर अपना कब्जा फिर से कर लिया है। इसके अलावा ये लोग तेजी के साथ अब डेह सलाह जिले की तरफ कूच कर रहे हैं। वहीं मिली जानकारी के मुताबिक इस लड़ाई में तालिबान के कई लड़ाकों की जान भी गई है। और घायलों की संख्या भी काफी अधिक है।

इन जिलों को लिया वापस

इसको लेकर अफगानिस्तान की लोकल न्यूज एजेंसी अशवाका का कहना है कि तालिबान के कब्जे से लोकल विद्रोही गुटों ने पोल-ए-हेसर, डेह सलाह और बानो जिलों को वापस ले लिया गया है। वहीं बाघलान के स्थानीय पत्रकार ने इस संबंध में जानकारी दी कि कई तालिबान लड़ाके इस लड़ाई में मारे गए हैं। बता दें कि इस तरह से स्थानीय लोगों की ताकत बढ़ती देख तालिबान के लड़ाकों के हौसले पस्त हो रहे हैं।

AFGHANISTAN

गौरतलब है कि, सरकार बनाने की कवायद में तालिबान अभी उलझा हुआ है, ऐसे में कई शीर्ष आतंकी कमांडर काबुल में इसलिए डेरा जमाए हुए हैं, कि वो तालिबान के शीर्ष नेतृत्व की आंखों में आ सके। हालांकि इसका खामियाजा यह हुआ है कि तालिबान की पकड़ स्थानीय स्तर पर कमजोर हो रही हुई है। स्थानीय विद्रोही समूह इसी का फायदा उठा रहे हैं। अगर विद्रोही गुट ऐसे ही हमले करते रहे तो तालिबान के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। बता दें कि पंजशीर ऐसा अफगानिस्तान का प्रांत है जहां पर तालिबान आजतक अपना कब्जा नहीं कर पाया है। ऐसे में इस प्रांत में तालिबान विरोधी समूहों का जमावड़ा हो रहा है।