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Scare Continues: दुनियाभर में अब तक 55 लाख कोरोना मरीजों की मौत, नए साल के रंग में पड़ा भंग

हाहाकार अब भी मचा है, जबकि पूरी दुनिया में वैक्सीनेशन हो रहा है। हालात कितने गंभीर हैं, ये इसी से पता चलता है कि पूरी दुनिया में लगातार ये दूसरा साल है, जब नए साल के जश्न पर कोरोना का साया पड़ गया। ज्यादातर जगह तमाम समारोह रद्द भी करने पड़े।

नई दिल्ली। साल 2020 के अंत में चीन से कोरोना की शुरुआत हुई थी। तबसे लेकर अब तक दुनिया में इस महामारी ने 55 लाख के करीब लोगों की जान ले ली है। अब तक करीब 29 करोड़ मरीज मिल चुके हैं। हाहाकार अब भी मचा है, जबकि पूरी दुनिया में वैक्सीनेशन हो रहा है। हालात कितने गंभीर हैं, ये इसी से पता चलता है कि पूरी दुनिया में लगातार ये दूसरा साल है, जब नए साल के जश्न पर कोरोना का साया पड़ गया। ज्यादातर जगह तमाम समारोह रद्द भी करने पड़े। जापान के सम्राट नारुहितो ने नए साल की शुभकामनाएं तो लोगों को दी, साथ ही महामारी से मृत लोगों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना भी की। टोक्यो के राजमहल में लगातार दूसरे साल कोई कार्यक्रम नहीं हुआ।

corona virus

अमेरिका में भी कोरोना के कारण बड़े पैमाने पर जश्न नहीं मनाया जा सका। राष्ट्रपति के सरकारी आवास व्हाइट हाउस में भी कोई कार्यक्रम नहीं हुआ। ब्रिटेन में ये पता नहीं था कि लोग नए साल का जश्न मना सकेंगे या नहीं। अंतिम समय में बोरिस जॉनसन की सरकार ने इसकी मंजूरी दी। वहीं, फ्रांस की राजधानी पेरिस में भी सारे कार्यक्रम रद्द करने पड़े। नीदरलैंड में 4 लोगों को ही बाहर इकट्ठा होने की मंजूरी से नए साल का जश्न फीका पड़ गया। पूरे यूरोप में कोरोना फिर हाहाकार मचा रहा है। यहां ब्रिटेन समेत कई देशों में ओमिक्रॉन वैरिएंट के मरीज भी बड़ी तादाद में मिल रहे हैं। इस वजह से सरकार से लेकर लोगों तक हड़कंप मचा है।

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ऑस्ट्रेलिया और थाईलैंड की सरकारों ने नए साल का जश्न सार्वजनिक तौर पर मनाने की इजाजत तो दी, लेकिन कोरोना का डर दोनों ही देशों में लोगों के चेहरों पर साफ तौर पर देखा जा रहा था। वहीं, मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर के मशहूर पेट्रोनास ट्विन टावर पर पारंपरिक आतिशबाजी तो नए साल के मौके पर हुई, लेकिन बाकी आयोजन रद्द कर दिए गए। भारत में भी तमाम शहरों में नए साल के मौके पर सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं किए जा सके। देश के ज्यादातर राज्यों ने नाइट कर्फ्यू लगाकर लोगों को रात 12 बजे से पहले ही घरों में लौटने को मजबूर कर दिया। यानी कुल मिलाकर कोरोना का कहर नए साल के जश्न और उत्साह पर भारी पड़ गया। हालांकि, लोगों की ये उम्मीद अब भी कायम है कि अगले साल लोग नए साल का जश्न मना सकेंगे।