नई दिल्ली। चीन व अमेरिका के बीच लंबे समय से विवाद जारी है। जानकार कहते हैं कि विश्व की दो प्रमुख आर्थिक शक्तियों के रिश्तों में आयी खटास से किसी को भी लाभ नहीं होने वाला है। द्विपक्षीय संबंधों में आई दरार न पाटी गयी तो इन दोनों राष्ट्रों के साथ-साथ पूरी दुनिया को इसके परिणाम झेलने पड़ सकते हैं। भले ही विश्व में चीन को अलग करने के स्वर तेज हो रहे हैं, लेकिन आज के वैश्विक माहौल में किसी भी एक देश को अलग-थलग करना आसान नहीं है। जाहिर सी बात है कि अमेरिका और चीन व विश्व के अन्य देशों के बीच जो मतभेद हैं उन्हें आपसी संवाद और बातचीत के जरिए सुलझाए जाने की जरूरत है।
अमेरिका में चीन के राजदूत ने भी आपसी रिश्ते बेहतर बनाने के लिए सही ढंग से काम करने की वकालत की है। इसमें कोई दो राय नहीं कि अमेरिका व चीन दोनों देशों का सिस्टम एक जैसा नहीं है। लेकिन अमेरिका के ट्रंप प्रशासन द्वारा चीन की व्यवस्था पर बार-बार सवाल उठाए जा रहे हैं। इससे दोनों के संबंध लगातार बिगड़ रहे हैं।
अमेरिकी नेताओं विशेषकर विदेश मंत्री माइक पोम्पेयो हर रोज चीन पर निशाना साध रहे हैं। इस तरह के बयानों और कदमों से चीन का नाराज होना समझ में आता है। इस तरह व्यापारिक रिश्तों पर भी असर पड़ रहा है।
वैसे रिश्तों को पटरी पर लाने की कोशिश होती रही है, लेकिन बीच-बीच में फिर से तनाव बढ़ जाता है। कोविड-19 महामारी के प्रसार के दौरान भी चीन और अमेरिका के बीच इस तरह की परेशानी जारी है। अमेरिका में वायरस के आतंक के बीच, वहां के नेताओं ने चीन पर दोष मढ़ना शुरू कर दिया।
गौरतलब है कि वर्तमान वैश्विक दुनिया में लगभग सभी देश किसी न किसी चीज के लिए एक-दूसरे पर निर्भर हैं। ऐसे में उनको कभी न कभी एक मंच पर आना ही होगा। विश्व का कारखाना बन चुके चीन को दरकिनार करना आसान नहीं है। यह बात अमेरिका भी जानता है, लेकिन वह अपनी श्रेष्ठता साबित करने आदि के चलते बार-बार चीन को घेरता रहता है।
वहीं इस दौरान अमेरिका स्थित चीनी राजदूत छवेइ थ्येनखाई का कहना है कि दोनों राष्ट्रों को मतभेदों को सुलझाने के लिए रचनात्मक तरीके अपनाने की आवश्यकता है। सीएनएन के साथ हुई बातचीत में चीनी राजदूत ने कहा कि चीन और अमेरिका को वैश्विक चुनौतियों का मुकाबला करते हुए एक-दूसरे के हितों का भी ध्यान रखना चाहिए।
चीनी राजदूत की बातों से यह लगता है कि चीन बातचीत के माध्यम से विवाद को सुलझाने का पक्षधर है। अगर दोनों देश मतभेदों को किनारे रखकर द्विपक्षीय हितों पर फोकस करें तो माहौल को बेहतर बनाया जा सकता है।