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Mifepristone: अमेरिकी महिलाएं गर्भपात के लिए ले सकेंगी मिफेप्रिस्टोन, सुप्रीम कोर्ट ने दवा पर लगे बैन को किया रद्द

मिफेप्रिस्टोन दवा को गर्भपात के सुरक्षित विकल्प के तौर पर साल 2000 में अमेरिका में मान्यता मिली थी। दवा बनाने वाली कंपनी के मुताबिक अब तक 50 लाख से ज्यादा महिलाओं ने इस दवा का इस्तेमाल किया है। अमेरिका में गर्भपात के कुल मामलों में से आधे से ज्यादा में मिफेप्रिस्टोन का उपयोग होता है।

वॉशिंगटन। अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने देश की महिलाओं की बड़ी मांग सुन ली है। कोर्ट ने शुक्रवार को गर्भपात के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा मिफेप्रिस्टोन पर बैन को रद्द कर दिया है। इस दवा पर अमेरिका की कई निचली अदालतों ने रोक लगाई थी। टेक्सास में इस दवा पर सबसे पहले रोक लगी थी। जज का कहना था कि मिफेप्रिस्टोन का इस्तेमाल जन्म लेने से पहले ही बच्चे की हत्या के लिए किया जा रहा है। दवा पर बैन के खिलाफ महिला संगठनों ने आवाज उठाई थी। मामला अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट तक गया था। जहां इस पर लगे बैन को रद्द कर दिया गया।

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अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने मिफेप्रिस्टोन के इस्तेमाल को पहले मान्यता भी दी थी। फिर टेक्सास और वॉशिंगटन में संघीय जजों ने इसे बैन कर दिया। इस साल 7 मार्च को मिफेप्रिस्टोन पर निचली अदालतों ने बैन लगाया था। महिलाओं में इस फैसले पर गहरी नाराजगी थी। जिसके बाद राष्ट्रपति जो बाइडेन के न्याय विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में आपातकालीन अपील दायर की और संघीय जजों की तरफ से लगाए गए बैन को रद्द करने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट में मिफेप्रिस्टोन बनाने वाली कंपनी डेंको लैबोरेट्रीज ने भी अपील की थी। बाइडेन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया कि संघीय जजों के बैन लगाने के फैसले से एफडीए का फैसला कमजोर हुआ है और महिलाओं के स्वास्थ्य को खतरे में डाला गया है।

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मिफेप्रिस्टोन दवा को गर्भपात के सुरक्षित विकल्प के तौर पर साल 2000 में अमेरिका में मान्यता मिली थी। दवा बनाने वाली कंपनी के मुताबिक अब तक 50 लाख से ज्यादा महिलाओं ने इस दवा का इस्तेमाल किया है। अमेरिका में गर्भपात के कुल मामलों में से आधे से ज्यादा में मिफेप्रिस्टोन का उपयोग होता है। बाइडेन प्रशासन ने साफ कहा है कि अगर इस मामले में और भी कानूनी जंग हुई, तो उसे भी लड़ा जाएगा। इसे लाखों महिलाओं से किया गया वादा करार दिया गया है।