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चीन पर फूटा अमेरिकी रक्षा मंत्री का गुस्सा, कहा- खराब मास्क देकर दुनिया को धमकाने की कोशिश कर रहा चीन

अमेरिका के रक्षा मंत्री मार्क एस्पर चीन पर हमलावर हुए हैं रक्षा मंत्री ने मंगलवार को कहा कि चीन की सेना दक्षिण चीन सागर में आक्रामक रूख अपना रही है।

वॉशिंगटन। चीन और अमेरिका के बीच कोरोना की उत्पत्ति को लेकर जुबानी जंग थमने का नाम नहीं ले रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने देश में कोरोना से मरते लोगों को देखकर चीन को आंखें दिखा रहे हैं और लगातार आरोप लगा रहे हैं कि चीन को कोरोना की सच्चाई छिपाने का परिणाम अवश्य भुगतना होगा। वहीं चीन का साथ देने का आरोप लगाते हुए अमेरिका ने तो विश्व स्वास्थ्य संगठन तक को नहीं बख्शा। लेकिन इस बार अमेरिका के रक्षा मंत्री मार्क एस्पर चीन पर हमलावर हुए हैं रक्षा मंत्री ने मंगलवार को कहा कि चीन की सेना दक्षिण चीन सागर में आक्रामक रूख अपना रही है।

एस्पर ने कहा कि ‘चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी’ ने कोरोना वायरस को लेकर उस पर लग रहे आरोपों से ध्यान भटकाने और अपनी छवि को सुधारने के लिए झूठी सूचनाएं फैलाने का अभियान तेज कर दिया है। एस्पर ने पेंटागन में कहा, ‘‘चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी’ ने आरोपों से ध्यान भटकाने और अपनी छवि सुधारने के लिए गलत सूचनाएं फैलाने का अपना अभियान तेज कर दिया है। इसके साथ ही हम दक्षिण चीन सागर में PLA (पीपल्स लिबरनेशन आर्मी) का आक्रामक व्यवहार लगातार देख रहे हैं।’

एस्पर ने कहा कि फिलीपींस के नौसैन्य पोत को धमकाने, मछलियां पकड़ने वाली वियतनाम की नौका डुबाने और अन्य देशों को अपतटीय तेल एवं गैस संबंधी गतिविधियों को लेकर डराने-धमकाने के मामले इसी व्यवहार को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि कई देश वैश्विक महामारी के कारण अपने आंतरिक मामलों से जूझ रहे हैं और इसी बीच अमेरिका के रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी अपने लाभ की खातिर दूसरों की कीमत पर इस संकट का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि चीन कोरोना वायरस को लेकर शुरुआत से ही पारदर्शी नहीं रहा है।

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एस्पर ने कहा कि यदि चीन अधिक पारदर्शी रहा होता तो ‘हम इस वायरस को समझ सकते थे’ और संभवत: दुनिया इस स्थिति में नहीं होती, जिस हालात में वह इस समय है। उन्होंने कहा कि चीन को अमेरिका को इस बीमारी के शुरुआती मरीजों, चीनी अनुसंधानकर्ताओं और वैज्ञानिकों से बात करने और उन तक पहुंच की अनुमति देनी चाहिए। एस्पर ने कहा, ‘उसने जो कुछ भी किया या वह जो कुछ भी करने में असफल रहा, उसके बाद अब वह यह कहना चाहता है कि हमारे पास मास्क हैं। हम आपको मास्क देंगे, हम आपको यह देंगे, वह देंगे, हम आपको आर्थिक मदद देंगे। देखिए, हम कितनी अच्छी चीजें कर रहे हैं।’

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‘ खराब क्वालिटी के मास्क दिए और उपकरण टूटे हुए’

एस्पर ने कहा, ‘हम यह जानते हैं कि वह मास्क मुहैया करा रहा है, वह आपूर्ति कर रहा है, लेकिन कई मामलों में ये अच्छी गुणवत्ता के नहीं हैं। वे वह काम नहीं करते, जो उनसे अपेक्षा होती है। ये टूटे हुए उपकरण होते है। वे (चीन) देशों से कह रहे हैं कि आप ये मास्क लीजिए, लेकिन कृपा कर सार्वजनिक तौर पर यह कहिए कि हम कितना अच्छा काम कर रहे हैं, वगैरह, वगैरह। वे कई चीजों से अपनी छवि बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं। गौरतलब है कि चीन पर खराब मास्क देने का आरोप और भी देश लगा चुके हैं। इनमें सबसे ऊपर चीन का सबसे अच्छा दोस्त पाकिस्तान भी शामिल है जहां अंडरगारमेंट्स से बने हुए मास्क पहुंचाए जाने पर खूब हंगामा कटा था।