नई दिल्ली। लद्दाख के एलएसी पर चीन के सैन्य जमावड़े से भारत के साथ उसके संबंधों में बनी चौड़ी खाई अब पटती दिख रही है। चीन ने तीन दिन पहले दावा किया था कि उसने हॉट स्प्रिंग्स इलाके से जवानों को हटा लिया है। इससे पहले चीन ने पेंगोंग सो से भी सेना हटाई थी। अब खबर ये है कि चीन के विदेश मंत्री वांग यी इस महीने भारत का दौरा कर सकते हैं। वांग इस दौरे में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के अलावा पीएम नरेंद्र मोदी से मिलकर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का संदेश भी दे सकते हैं।
दरअसल, चीन के इस रुख में बदलाव की वजह यूक्रेन पर रूस के हमले से उपजे हालात हैं। एक तरफ रूस अब तक यूक्रेन को जीत नहीं सका है। वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने साफ कर दिया है कि ताइवान पर अगर चीन हमला करेगा, तो उसे सहन नहीं किया जाएगा। बाइडेन ने यूक्रेन के मसले पर रूस को मदद देने की चीन की कोशिश पर भी चेतावनी दे दी है। उधर, यूक्रेन जंग मामले में रूस के प्रति भारत के रुख की वजह से भी निश्चित तौर पर चीन परेशान हो गया है।
जानकारों का मानना है कि चीन ने सोचा था कि रूस के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद UNSC में वोट न देकर भारत, अमेरिका के गुस्से का शिकार बनेगा। ऐसा नहीं हुआ। भारत न सिर्फ गुटनिरपेक्ष बना रहा, बल्कि उसने रूस से सस्ता कच्चा तेल भी खरीदा। फिर भी अमेरिका ने भारत के खिलाफ कोई बात नहीं कही। यहां तक कि जब भारत की मिसाइल गलती से दगकर पाकिस्तान में गिर पड़ी, तो भी न रूस ने कुछ कहा और न अमेरिका ने ही। ऐसे में चीन को ये समझ में आ गया है कि भारत को दोनों देशों का समर्थन हासिल है। ऐसे में अगर भारत के खिलाफ वो सैन्य शक्ति का इस्तेमाल करता है, तो उसे चीन और अमेरिका दोनों का निशाना बनना पड़ सकता है।