न्यूयॉर्क। चीन एक बार फिर पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा हो गया है। वजह है भारत। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद UNSC में अफगानिस्तान पर चर्चा के दौरान पाकिस्तान के दूत को बोलने नहीं दिया था। इससे चीन भड़क गया है। चीन ने पूरे घटनाक्रम को अफसोस वाला बताया है। चीन उन 5 बड़ी ताकतों में से अकेला देश है, जिसने अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे को मान्यता दी है। सुरक्षा परिषद की बैठक की अध्यक्षता भारत कर रहा था।
यहां पाकिस्तान के दूत मुनीर अकरम भी मौजूद होने की कोशिश कर रहे थे। मुनीर का इरादा तालिबान का पक्ष लेना था, लेकिन इसे भांपते हुए सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष भारत ने उन्हें बैठक में शामिल न करते हुए बोलने नहीं दिया। पाकिस्तान ने इस पर भारत के खिलाफ आग उगली। उसने आरोप लगाया कि भारत अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए संयुक्त राष्ट्र के मंच का इस्तेमाल कर रहा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैश ने भी भारत पर पक्षपाती रवैया अपनाने का आरोप लगाया था।
उधर, पाकिस्तान के साथ मिलकर अफगानिस्तान में तालिबान शासन का समर्थन कर रहे चीन ने भी अपने दोस्त का साथ दिया। संयुक्त राष्ट्र में चीन के उप राजदूत गेंग शुआंग ने कहा कि हमें पता चला है कि कुछ क्षेत्रीय देश और अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों ने बैठक में हिस्सा लेने का अनुरोद किया था, लेकिन अफसोस है कि उनके अनुरोध को नहीं माना गया।
चीन ने जिस तरह सबसे पहले तालिबान शासन को मान्यता दी है, उसी से साफ हो जाता है कि अफगानिस्तान में जो हो रहा है उसमें उसका कितना बड़ा हाथ है। दरअसल, चीन की मंशा अफगानिस्तान में अरबों डॉलर के खनिजों पर है। पाकिस्तान के जरिए चीन अब अफगानिस्तान में पैठ बनाकर ये खनिज निकालने और उससे अपना खजाना भरने की चाल चल रहा है।