नई दिल्ली। तालिबान एक के बाद दूसरे खतरनाक अमेरिकी हथियारों से लैस हो चुका है। उसके पास अमेरिकी सैनिकों की वर्दी से लेकर उनकी असॉल्ट राइफलें और यहां तक कि लड़ाकू हेलीकॉप्टर भी मौजूद हैं। इन अमेरिकी हथियारों पर कब्जे से उसकी ताकत दूनी हो गई है। तालिबान ने अफगानिस्तान में अमेरिका के एक के बाद दूसरे सैन्य ठिकाने लूट लिए हैं। अफगानिस्तान का सबसे प्रमुख अमेरिकी बेस बगराम भी उसके कब्जे में है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन अपनी अफगानिस्तान नीति के चलते अपने ही मुल्क में हंसी के पात्र बन चुके हैं। अमेरिका का माखौल पूरी दुनिया में उड़ रहा है। तालिबान को मिले अमेरिकी हथियार एक पूरा का पूरा युद्ध लड़ने के लिए काफी हैं। आनन फानन में अफगानिस्तान छोड़कर गए अमेरिकी सैनिकों की छह लाख एमआइ 16 असॉल्ट राइफलें अब तालिबान के कब्जे में हैं। इनका इस्तेमाल अब वो अफगानिस्तान के निर्दोष नागरिकों पर तो कर ही रहा है, इसी के दम पर अमेरिका को धमकी दे रहा है। ये हथियार लंबे वक्त तक इस्तेमाल किए जाने के काबिल हैं। इसके साथ ही करीब 16 हजार अमेरिकी नाइट विजन डिवाइस और 1.62 लाख दूरसंचार उपकरण भी तालिबान के कब्जे में आ चुके हैं। ये अमेरिकी संसाधन अब उसे इस हद तक उत्साहित कर चुके हैं कि वह अभी तक की अभेद्य पंजशीर वैली पर कब्जे का प्लान बना रहा है।
अफगानिस्तान से आ रही तस्वीरों ने अमेरिका की बेचैनी बढ़ा दी है। तालिबानी आतंकी अमेरिकी सैनिकों की वर्दी पहने ही अपनी असाल्ट राइफलें लहराते नजर आ रहे हैं। इन्हीं हथियारों के दम पर वह अपने कमांडो दस्ते बदरी 313 को और भी घातक बना चुका है। अमेरिका की जग हंसाई इस बात से भी हो रही है कि तालिबान के आतंकियों की वर्दी में अमेरिकी झंडे का निशान है। खुद अमेरिकी मीडिया संगठन ग्राउंड से इस बात की रिपोर्ट कर रहे हैं। खुद अमेरिकी मीडिया की रिपोर्ट बताती है कि तालिबान के कब्जे में आ चुके हथियारों के जखीरे में अमेरिकी राइफल से लेकर कई तरह के सैन्य वाहन, एंटी लैंड माइंस वाहन और हमवी भी शामिल हैं।
बात सिर्फ जमीन की लड़ाई की नहीं है। तालिबान के कब्जे में अमेरिकी एयरफोर्स के हथियार भी आ चुके हैं। तालिबान के पास कई ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर आ चुके हैं। अब तालिबान इनके लिए प्रशिक्षित पायलटों का इंतजाम करने में लगा हुआ है। इसके साथ ही अमेरिका द्वारा अफगान आर्मी को दिए गए विमान भी तालिबान के बेड़े का हिस्सा बन चुके हैं। तालिबान की मिलेट्री ताकत इस कदर बढ़ चुकी है कि हवाई हमले करने वाले कई मिलिट्री विमान भी वह कब्जा चुका है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने 31 अगस्त अमेरिका से वापसी की तारीख तय की थी। मगर उन्होंने जिस आनन फानन में अपने सैनिक वापिस बुलाए उससे तालिबान को खुला मैदान मिल गया।
तालिबान के इस हथियारों के जखीरे में अमेरिका निर्मित आमर्ड वीकल और ड्रोन विमान तक शामिल हैं। इन घातक हथियारों का तालिबान किस तरह से इस्तेमाल कर सकता है, इसे सहज ही समझा जा सकता है। ये हथियार अमेरिका ने अफगान सेना को तालिबान के आतंकियों का खात्मा करने के लिए दिए थे। अब यही उसके लिए मुसीबत बन चुके हैं। आशंका इस बात की भी है के ये हथियार तालिबान के हाथों आईएसआईएस और अल कायदा के पास भी जा सकते हैं। ऐसे में अमेरिका में 9/11 जैसे खतरनाक हमलों को फिर से दोहराए जाने की आशंका प्रबल हो उठी है।
जानकारी के मुताबिक तालिबान को 2 हजार हथियारबंद अमेरिकी वाहन और लेजर गाइडेड बम भी मिले हैं। ये स्थिति खुद अमेरिका के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। अमेरिकी में इसे लेकर चिंताएं खासी बढ़ गई हैं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन पर जमकर हमले कर रहे हैं। ट्रंप ने बाइडेन को अमेरिकी इतिहास का सबसे कमजोर राष्ट्रपति करार दिया है।
इतना ही नहीं बल्कि रिपब्लिकन पार्टी के 24 से अधिक सीनेटरों ने अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के उपकरण तालिबान के हाथ लगने को लेकर बाइडन प्रशासन की जबरदस्त घेराबंदी की है। रिपब्लिकन सांसदों ने रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन चिट्ठी लिखकर बेहद ही तीखे सवाल पूछे हैं। उन्होंने लिखा है कि अफगानिस्तान से आने वाली तस्वीरें बेहद डरावनी हैं। अमेरिकी यूएच-60 ब्लैक हॉक्स समेत अमेरिका के कई उपकरण तालिबान के हाथ लग गए हैं। ये बेहद खतरनाक स्थिति है। इन रिपब्लिकन सांसदों ने बाइडन प्रशासन से करदाताओं के पैसे से खरीदे जाने वाले अमेरिकी हथियारों के तालिबान के हाथों में पड़ने की जवाबदेही तय करने को लिखा है। कुल मिलाकर तालिबान के हाथों में पड़े अमेरिकी हथियारों ने दुनिया को दहशत के मुहाने पर खड़ा कर दिया है जिसका पूरा का पूरा जिम्मेदार बाइडेन प्रशासन को बताया जा रहा है।