मॉस्को। यूक्रेन से जंग जारी रहने के कारण रूस और अमेरिका के बीच तनातनी काफी बढ़ी हुई है। इस तनातनी में अब और बढ़ोतरी होने की आशंका है। वजह ये है कि रूस की संसद ने बुधवार को वैश्विक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध के अनुमोदन को रद्द कर दिया है। यानी रूस अब एक बार फिर परमाणु परीक्षण शुरू कर सकेगा। हालांकि, इस बारे में अंतिम फैसला रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन करेंगे। रूस की संसद ने इस फैसले को अमेरिका से समानता बनाने का कदम बताया है। बिल को पुतिन के पास भेजा गया है। आंकड़ों के मुताबिक 1945 में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए जाने के बाद 1996 तक दुनिया के ताकतवर देशों ने 2000 से ज्यादा परमाणु परीक्षण किए थे। तब सोवियत संघ (अब रूस) ने 715 और अमेरिका ने 1032 परमाणु बमों का परीक्षण किया था। सोवियत संघ ने आखिरी बार 1990 में और अमेरिका ने 1992 में परमाणु परीक्षण किया था।
इनके अलावा भारत और पाकिस्तान ने 1998 में 2-2 बार, उत्तर कोरिया ने 2006, 2009, 2013, 2016 और 2017 में परमाणु परीक्षण किए थे। अब अगर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन संसद से पास बिल को मंजूरी देते हैं और उनका देश परमाणु परीक्षण शुरू करता है, तो अमेरिका समेत बाकी देश भी अपने यहां परमाणु परीक्षण शुरू कर सकते हैं। इससे परमाणु हथियारों की होड़ और बढ़ेगी और देशों के बीच तनाव के दौरान परमाणु युद्ध की आशंका भी तेज होगी। रूस ने अमेरिका पर आरोप लगाया है कि परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि यानी सीटीबीटी पर दस्तखत के बाद भी अमेरिका इसे नहीं मानता। सीटीबीटी से दुनिया में सभी परमाणु परीक्षण बंद हो गए थे। बस मशीनों के जरिए परमाणु बमों का परीक्षण किया जा सकता है।
अगर रूस समेत सभी देश परमाणु परीक्षण करने लगे, तो इससे दुनिया में काफी अस्थिरता आ सकती है। रूस के पास सबसे ज्यादा परमाणु बम और इनको गिराने के लिए मिसाइलें हैं। इससे दुनिया में नया संकट पैदा होने के आसार हैं। रूस ने कहा है कि जिस सीटीबीटी अनुमोदन को उसने रद्द करने का फैसला किया, उस पर भारत, पाकिस्तान, ईरान, मिस्र और उत्तर कोरिया ने दस्तखत ही नहीं किए हैं। माना जा रहा है कि अमेरिका और उसके सहयोगी देशों पर यूक्रेन मसले में दबाव डालने की खातिर रूस ने परमाणु परीक्षण फिर शुरू करने का फैसला किया है। ये सारे देश यूक्रेन को आर्थिक और सैन्य मदद दे रहे हैं। जिसका रूस लगातार विरोध करता रहा है।