नई दिल्ली। पूरी दुनिया में कोरोना का आतंक छाया हुआ है। इससे भारत में भी स्थिति खतरनाक स्तर पर जा पहुंची थी। हालांकि पिछले कुछ दिनों से भारत में कोरोना की रफ्तार धीमी हुई है। बता दें कि इस बीच कोरोना की उत्पत्ति को लेकर जानने की कोशिश जारी है कि आखिर कोरोना वायरस की शुरुआत कहां से हुई है। बता दें कि इसमें चीन की वुहान लैब का नाम बार-बार सामने आ रहा है। ऐसे में शनिवार को अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ (Mike Pompeo) ने अपने एक बयान से पूरी दुनिया को चौंका दिया है। उन्होंने सबको यह कहकर चौंका दिया कि वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी अपनी सिविलियन रिसर्च के साथ-साथ चीन की सैन्य गतिविधियों में भी शामिल रहा था। पोम्पिओ के इस बयान की अहमियत इसलिए भी बढ़ जाती है, क्योंकि कोरोना वायरस (Coronavirus) की उत्पत्ति के दावे की नए सिरे से जांच शुरू कर दी गई है। चीन इस सयम कठघरे में नजर आ रहा है।
पोम्पिओ के हवाले से फॉक्स न्यूज ने कहा, चीन स्थित वुहान लैब पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साथ मिलकर सैन्य गतिविधियों पर काम कर रही है। उन्होंने दावा किया है कि लैब में सैन्य गतिविधियों को नागरिक शोध के नाम पर अंजाम दिया जा रहा था। उन्होंने कहा कि उस दौरान चीन से इसको लेकर जानकारी मांगी गई थी लेकिन चीन से इस संबंध में कोई भी जानकारी देने से मना कर दिया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम ने जब वहां जाने की कोशिश की तो चीन इस मामले में दीवार बनकर खड़ा हो गया और इसकी अनुमति देने से इनकार कर दिया।
हालांकि कोरोना वायरस की शुरुआत वुहान लैब से ही हुई है, इसको लेकर पहले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी जांच में कहा था कि, इसे साबित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं है।