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Sri Lanka Crisis: भारत पर श्रीलंका से 12 गुना अधिक कर्ज लेकिन फिर भी कभी देश की हालत श्रीलंका जैसी नहीं होगी, इसकी वजह समझिए

Sri Lanka Crisis: इतना ही नहीं श्रीलंका में हालत इन बदतर है कि गाड़ियों में पेट्रोल-डीजल तक नहीं है। जिसे वहां की जिंदगी की रफ्तार पर ब्रेक सा लग गया है। आपको बता दें कि चीन ने श्रीलंका पर रणनीतिक बढ़त हासिल करने के लिए अपनी कुटिल ‘डेट ट्रैप डिप्लोमेसी’ का प्रयोग किया। श्रीलंका से कई वीडियो और तस्वीरें सामने आ रही है।

नई दिल्ली। पड़ोसी मुल्क श्रीलंका में हालत दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं। श्रीलंका की जनता महंगाई से इस तरह से त्रस्त हो चुकी है कि लोग सड़कों पर उतरकर उग्र प्रदर्शन कर रहे हैं। इतना ही नहीं बीते दिनों प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया था। साथ ही प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंंघे के आवास पर भी आग लगा दी थी। बीते दिन एक वीडियो सामने आया था जिसमें प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के घर से करोड़ों रुपये कैश गिनते हुए भी दिखे थे। बता दें कि चीन के चंगुल में आकर श्रीलंका बुरी तरह से फंस गया है और अब पूरे कंगली में डूब गया है। चीन की वजह से श्रीलंका की हालत ये है कि वहां लोगों को खाने-पीने के लाले पड़े रहे है। चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं।

इतना ही नहीं श्रीलंका में हालत इन बदतर है कि गाड़ियों में पेट्रोल-डीजल तक नहीं है। जिसे वहां की जिंदगी की रफ्तार पर ब्रेक सा लग गया है। आपको बता दें कि चीन ने श्रीलंका पर रणनीतिक बढ़त हासिल करने के लिए अपनी कुटिल ‘डेट ट्रैप डिप्लोमेसी’ का प्रयोग किया। श्रीलंका से कई वीडियो और तस्वीरें सामने आ रही है। जिसे देखकर लोग का मानना हैं कि आखिर श्रीलंका इतने बुरी से आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। कई लोगों इसके पीछे की वजह श्रीलंका पर करीब 51 अरब डॉलर के कर्ज को बता रहे हैं। इससे हैरान वाले बात ये है कि कुछ लोग तो यह भी बता रहे हैं कि भारत पर श्रीलंका से करीब 12 गुना अधिक कर्ज है, ऐसे में सबके जेहन में यह प्रश्न उठा रहा है कि क्या भारत की स्थिति भी एक दिन श्रीलंका की तरह हो सकती है?

जानिए भारत पर कितना है कर्ज?

सबसे पहले आपको बताते है कि आखिर भारत, श्रीलंका की तरह कर्ज के दलदल क्यों नहीं फंस सकता है? इसके पीछे कई कारण है। अगर भारतीय रिजर्व बैंक की आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि मार्च 2022 में भारत पर करीब 620.7 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है, जबकि बीते साल यह 570 अरब डॉलर था। इन आंकड़ों से साफ होता है कि एक साल में भारत का कर्ज तकरीबन 47.1 अरब डॉलर बढ़ा है। इससे पहले की आंकड़ों पर गौर करें तो मार्च में 2018 में यह 529.7 अरब डॉलर था जो मार्च में 2019 तक बढ़कर 543 अरब डॉलर पर हो गया। वहीं मार्च 2020 में भारत पर विदेशी कर्ज 558.5 अरब डॉलर था।

बता दें कि श्रीलंका पर 51 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है, जबकि महज एक साल में भारत का कर्ज 47.1 अरब डॉलर बढ़ा है। ये आंकड़े देखकर भले ही आपको लगता होगा कि इंडिया की स्थिति दयनीय हो गई है, लेकिन असल में तस्वीर इससे बिल्कुल उल्ट है। मार्च 2020 में इंडिया के कर्ज का GDP से अनुपात करीब 20.6 प्रतिशत था, जो मार्च 2021 में बढ़कर 21.1 फीसदी हो गया। मगर, मार्च 2022 में यह अनुपात घटकर 19.9 प्रतिशत रह गया है, जबकि कर्ज 47.1 अरब डॉलर बढ़ा है।

कई वर्षों की आर्थिक कुनीतियों के परिणामस्वरूप आज श्रीलंका आज आर्थिक मोर्चे पर त्राहि-त्राहि कर रहा है। आप श्रीलंका की आर्थिक बदहाली का अंदाजा महज इसी से लगा सकते हैं कि साल 2018 में जीडीपी 91 फीसद था, जो कि 2021 में बढ़कर 119 फीसद तक पहुंच गया। वहीं, 2014 में श्रीलंका का कर्ज से जीडीपी का अनुपात 30 फीसदी के करीब पहुंच चुका था। वहीं, विश्व बैंक के अध्ययन के मुताबिक, श्रीलंका जैसे विकासशील देशों के लिए कर्ज से जीडीपी का अनुपात करीब 65 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए। इससे ऊपर बढ़ने का मतलब है कि हर एक प्वाइंट बढ़ोतरी से देश की जीडीपी पर उल्टा असर पड़ेगा