newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

News Click: ‘न्यूजक्लिक बहाना है..निशाना कहीं और है…’ , चीन की नापाक मंशा का हुआ खुलासा, सामने आया ये सच

News Click: इसके अलावा जांच से चीनी मूल के व्यक्तियों, भारतीय एनबीएफसी और फिनटेक इकाइयों से जुड़े एक और घोटाले का भी पर्दाफाश हुआ, जिसमें चीनी व्यक्ति एनबीएफसी के साथ सीधे समन्वय करते थे और फिनटेक या चीनी-संदर्भित कंपनियों के निदेशकों को जानकारी दिए बिना समझौतों पर हस्ताक्षर करते थे।

नई दिल्ली। यूं तो पाठकों और दर्शकों के बीच न्यूजक्लिक अपनी खबरों को लेकर चर्चा में रहता है, लेकिन पिछले दो दिनों से न्यूज क्लिक अपनी किसी खबर को लेकर नहीं, बल्कि चीनी कनेक्शन को लेकर चर्चा में आ गया है, जिसे लेकर सड़क से लेकर संसद तक हंगामा बरपा हुआ है। बीते सोमवार को केंद्रीय मंत्री निशिकांत दुबे ने जहां न्यूजक्लिक और कांग्रेस पर जमकर हमला बोला, तो वहीं प्रेस कांफ्रेंस में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी न्यूजक्लिक के संपादक और राहुल गांधी पर जोरदार हमला बोला। आइए, पहले पूरा माजरा जान लेते हैं। दरअसल, हाल ही में न्यूयॉर्क टाइम्स में एक लेख छपा। लेख में दावा किया गया है कि भारतीय समाचार मीडिया कंपनी न्यूजक्लिक को चीन की ओर से फंडिंग मिल रही है और यह फंडिंग भारत विरोधी खबरें दिखाने और प्रकाशित करने के एवज में मिल रही हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि न्यूजक्लिक को यह पैसा नेविल रॉय सिंघम की बदौलत मिल रहा है, जो कि अमेरिकी कारोबारी है और वर्तमान में चीनी विरोधी एजेंडे को धार देने की दिशा में जुटा है।

News Click

वहीं, अब न्यूजक्लिक ने अपनी ओर से जारी बयान में इन आरोपों को राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित बताया। न्यूजक्लिक ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि हम भारत विरोधी खबरें नहीं दिखाते हैं, बल्कि सिर्फ सच दिखाते हैं। तो यह पूरा माजरा है, जिसे लेकर अभी संसद से लेकर सड़क तक हंगामा बरपा हुआ है। वहीं, अभी तक कांग्रेस की ओर से इस पर कोई बयान जारी नहीं किया गया है, जबकि बीते सोमवार को अपनी प्रेम कांफेंस केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने राहुल को मुख्य रूप से इस प्रकरण पर निशाने पर लिया था। वहीं, अब आइए आगे इस मामले से जुड़े अन्य तथ्यों के बारे में जान लेते हैं।

दरअसल, बीते दिनों न्यूजक्लिक प्रकरण को लेकर एक निजी न्यूज चैनल ने एक पड़ताल की थी, जिसमें सामने आया कि चीन लगातार लोन का एप का सहारा लेकर भारतीय ग्राहकों, उद्योगपतियों, छोटे कारोबारियों और आम लोगों को अपने चक्रव्यहू में फंसा रहा है। मुख्य रूप से भारतीय स्वर्ण व्यापारी चीन के लुभावने झांसे में आए हैं। साल 2020 में ईडी ने खुद इससे जुड़े कई रैकेटों का भंडाफोड़ किया था। वहीं, फरवरी 2021 में कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के निर्देश मिलने पर ईडी ने न्यूजक्लिक के दफ्तर पर छापा मारा था। पांच दिनों तक यह छापेमारी हुई थी। इस बीच कंपनी के कर्मचारियों से पूछताछ हुई थी। इसके बाद कंपनी ने कोर्ट का रूख करके ईडी की कार्रवाई पर स्टे लगवा लिया।

2022 में बेंगलुरु ज़ोन में दर्ज की गई लगभग 25 एफआईआर ने ईडी को चीनी ऋण और निवेश ऐप्स से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के निशाने तक पहुंचा दिया। देनदारों और निवेशकों द्वारा दायर कई एफआईआर के आधार पर ईडी ने पिछले साल छह मामले दर्ज किए। एफआईआर के अनुसार, ऐप्स के खिलाफ प्राथमिक आरोप आपराधिक धमकी, ब्लैकमेल, डेटा पर कब्जा करना और गोपनीयता में घुसपैठ करना था। शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया कि उनसे सात दिनों में 40% से अधिक ब्याज वसूला गया। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, एक बड़ी साजिश सामने आई जिसमें अवैध कमाई को सफेद करने के लिए क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल का खुलासा हुआ।

वहीं, जांच में सामने आया कि कैसे कैसे चीनी मोबाइल निर्माता श्याओमी टेक्नोलॉजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और भारत में काम कर रहे तीन अंतरराष्ट्रीय बैंकों ने कथित तौर पर नियमों का उल्लंघन करते हुए चीन को 5,500 करोड़ रुपये ‘रॉयल्टी’ के रूप में भेजे। डमी निदेशकों के साथ काम करने वाली और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए फ़िल्टर के रूप में उपयोग की जाने वाली कम से कम 300 छोटी कंपनियों का अस्तित्व भी प्रकाश में आया। जांच के दौरान, सूरत स्थित हीरा व्यापारी और चीनी नागरिकों के बीच कथित संबंध जुड़ गए। हालांकि, जांच अभी-भी जारी है।

इसके अलावा जांच से चीनी मूल के व्यक्तियों, भारतीय एनबीएफसी और फिनटेक इकाइयों से जुड़े एक और घोटाले का भी पर्दाफाश हुआ, जिसमें चीनी व्यक्ति एनबीएफसी के साथ सीधे समन्वय करते थे और फिनटेक या चीनी-संदर्भित कंपनियों के निदेशकों को जानकारी दिए बिना समझौतों पर हस्ताक्षर करते थे। एनबीएफसी कर्मचारियों ने अपने कमीशन की सुरक्षा के लिए चीनी नागरिकों की साख या फिनटेक कंपनियों के साथ उनके संबंधों की जांच किए बिना उनकी सहायता की।

वहीं, आपको बता दें कि इनमें से अधिकांश घोटालों और रैकेटों में, भुगतान की अवैध उत्पत्ति को छिपाने के लिए क्रिप्टोकरेंसी का बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया है। लोन ऐप्स की ईडी जांच में पता चला कि क्रिप्टोकरेंसी के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग तीन परतों में हुई। उधर, कम से कम 14 निजी कंपनियों पर अपनी आय छह संस्थाओं को भेजने का आरोप है। जिन्होंने इसे क्रिप्टोकरेंसी में बदल दिया। छह निजी एजेंसियों ने चार चीनी संस्थाओं को क्रिप्टोकरेंसी के रूप में राशि हस्तांतरित की।

india china flag

इन्हें क्रिप्टो निवेश के रूप में दिखाया गया था। इसके अलावा ऐसी कंपनियां कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट और आयकर रिटर्न जैसी वैधानिक फाइलिंग का अनुपालन नहीं करती हैं। अगर ऐसी कंपनियों को किसी पेशेवर द्वारा अपनी बैलेंस शीट का ऑडिट कराने के लिए राजी किया जाता है, तो चीनी राष्ट्र पेशेवर को उनके कर्तव्य से मुक्त कर देंगे और उनकी जगह किसी और को नियुक्त करेंगे।