नई दिल्ली। हाल ही में स्विट्जरलैंड में बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगाने की खबर सामने आने के बाद खलबली मच गई थी। दरअसल स्विट्जरलैंड में चेहरा ढकने को लेकर जनमत संग्रह कराया गया था। जिसमें वहां के लोगों ने हिस्सेदारी ली और 51 प्रतिशत आबादी ने इस बात को माना की बुर्का बैन होना चाहिए।वहीं अब श्रीलंका में भी बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगा सकता है। साथ ही 1 हजार से अधिक इस्लामिक स्कूलों को बंद कराया जा सकता है। यह जानकारी शनिवार को पब्लिक सिक्योरिटी के मंत्री सरत विरासेकेरा (Sarath Weerasekera) ने एक न्यूज कॉन्फ्रेंस के दौरान दी। इस फैसले के बाद से यहां की अल्पसंख्यक मुस्लिम आबादी प्रभावित होगी।
उन्होंने शुक्रवार को एक पेपर पर हस्ताक्षर किया था जिसमें मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले बुर्का पर प्रतिबंध लगाने की मंजूरी दी गई है। यह फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा के तहत लिया गया है। उन्होंने बताया, ‘हमारे शुरुआती दिनों में मुस्लिम महिलाएं व लड़कियां बुर्का नहीं पहनती थीं। यह धार्मिक अतिवाद का प्रतीक है जो हाल में ही सामने आया है, हम इसे निश्चित तौर पर बंद कर देंगे।’
इस देश में होगा बुर्का और नकाब बैन, प्रस्ताव पर छिड़ी बहस
इससे पहले स्वीटजरलैंड में एक महीने तक सार्वजिनक स्थानों पर बुर्का और नकाब पहनने और चेहरा ढकने पर बैन लगाया गया था। जिसपर कई संगठनों ने आपत्ति जताई थी। इसके बाद वहां की सरकार की तरफ से इसको लेकर जनमत संग्रह कराया गया। जिसके परिणामस्वरूप सरकार के इस फैसले को 51 प्रतिशत आबादी का जनसमर्थन प्राप्त हुआ। बुर्के पर बैन लगाने के इस प्रस्ताव 14,26,992 लोगों ने समर्थन किया है और 13,59,621 लोगों ने इसके खिलाफ मतदान किया है।
स्विट्जरलैंड में मुस्लिम आबादी 5.2 प्रतिशत है। वहां की यूनिवर्सिटी ऑफ लूसर्न ने यह दावा किया था कि स्विट्जरलैंड में कोई महिला बुर्का नहीं पहनती, जबकि देश की सिर्फ 30 फीसदी महिलाएं हैं जो केवल नकाब लगाती हैं। अब इस जनमत संग्रह को मुसलिम आबादी के खिलाफ बताया जा रहा है।
हालांकि यहां कराए गए जनमत संग्रह में साफ तौर पर किसी जाति विशेष का जिक्र नहीं है। लेकिन मास्क और नकाब के जरिए फेस कवर कर आतंकवाद और हिंसक गतिविधियों को अजाम देनेवालों के खिलाफ यह कार्रवाई और जनमत संग्रह बताया गया है। लेकिन मुस्लिम संगठन की तरफ से इसे बुर्का बैन करने की कार्रवाई करार दिया जा रहा है और कहा जा रहा है कि यह मुस्लिम महिलाओं के साथ की जा रही ज्यादती है।
स्विट्जरलैंड से पहले फ्रांस में 2011 से ही यह बैन लागू है जबकि नीदरलैंड, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, जर्मनी और डेनमार्क ने पहले से ही इस बैन को मान्यता दे दी है। यहां सार्वजिनक स्थानों पर चेहरा ढकना प्रतिबंधित है।