वॉशिंगटन/मॉस्को। काला सागर में गिरे अमेरिकी ड्रोन के मसले पर अमेरिका और रूस के बीच तनातनी और बढ़ती लग रही है। रूस की तरफ से संकेत दिया गया है कि वो अमेरिका के एमक्यू-9ब ड्रोन का मलबा काला सागर से निकाल सकता है। वहीं, अमेरिका ने कहा है कि वो इस ड्रोन में मौजूद कोई भी खुफिया जानकारी किसी के हाथ लगने नहीं देगा। मंगलवार को रूस के एसयू-27 लड़ाकू विमान ने अमेरिका का ड्रोन रोक लिया था। अमेरिका ने आरोप लगाया है कि रूसी लड़ाकू विमान ने उसके ड्रोन को टक्कर मारी। जिसके बाद वो काला सागर में गिर गया। जबकि, रूस ने कहा है कि न तो उसके विमान ने अमेरिका के ड्रोन को टक्कर मारी और न ही उस पर किसी हथियार से हमला किया।
रूस की तरफ से अमेरिका के ड्रोन को काला सागर से निकालने के संकेत वहां के फॉरेन इंटेलिजेंस सर्विस के चीफ सर्गेई नीरिशकिन और रूसी सिक्योरिटी काउंसिल के सचिव निकोलाई पेत्रुशेव के बयानों से मिले हैं। सर्गेई नारिशकिन ने कहा कि काला सागर से ड्रोन का मलबा निकालने की रूस के पास तकनीकी क्षमता है। वहीं, पेत्रुशेव ने कहा कि हम मलबे को निकाल सकेंगे या नहीं, ये अभी कहना ठीक नहीं, लेकिन हमें निश्चित तौर पर ऐसा करना होगा और हम करेंगे। रूस की तरफ से एमक्यू-9 ड्रोन का मलबा निकालने की बात कहे जाने पर अमेरिका के नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के संयोजक जॉन किर्बी ने कहा कि हम देख रहे हैं कि मलबा निकाला जा सकता है या नहीं। उन्होंने ये भी कहा कि अमेरिका के ड्रोन का मलबा गलत हाथों में न जाए, ये भी हम कोशिश कर रहे हैं।
दरअसल, एमक्यू-9 ड्रोन के जरिए अमेरिका खुफिया जानकारी जुटाता है। ये ड्रोन तमाम कैमरे और सेंसर वाला होता है। जमीन से करीब 400000 किलोमीटर की ऊंचाई से ये दुश्मन के इलाके पर नजर रख सकता है। छोटी से छोटी गतिविधियों को ये दर्ज करता है और अपने हैंडलर तक पहुंचा देता है। ऐसा पहली बार हुआ है, जब अमेरिका ने अपने इस ड्रोन को गिराने का आरोप किसी और देश पर लगाया है।