काबुल। अफगानिस्तान की राजधानी पर कब्जा करने वाले तालिबान ने मीडिया से बातचीत में कई वादे किए थे। इनमें से एक वादा ये भी था कि महिलाओं पर रोक-टोक नहीं होगी और उन्हें काम करने दिया जाएगा। अफगान महिलाओं को लगा कि तालिबान बदल चुका है, लेकिन जब वे दफ्तर गईं, तो तालिबान ने वादा तोड़ते हुए उन्हें घुसने नहीं दिया। एक-दो नहीं, तमाम महिलाओं को तालिबान ने बैरंग लौटा दिया। इस पूरे घटनाक्रम से तालिबान के दावों और वादों की कलई खुल गई है और ये भी साफ हो गया है कि 1990 और 2021 के उसके चेहरे एक जैसे हैं। सिर्फ रेडियो-टीवी अफगानिस्तान RTA की बात कर लेते हैं। यहां काम करने वाली शबनम के मुताबिक वह जब दफ्तर गईं, तो गेट पर मौजूद तालिबान ने अंदर नहीं जाने दिया। शबनम के मुताबिक उन्होंने कहा कि काम पर वापसी कर रही हैं, लेकिन तालिबान ने साफ कह दिया कि शासन बदल चुका है और आप यहां अब काम नहीं कर सकतीं।
Afghan woman TV news anchor stopped from working.
Shabnam Dawran, a news anchor with state channel RTA Pushto, has released a video saying she went to her office and was told to return home, despite assurances by the Taliban that women would be allowed to work under their rule pic.twitter.com/DUL5dpfist
— AFP News Agency (@AFP) August 20, 2021
उन्होंने बताया कि आरटीए के चीफ को भी तालिबान ने हटा दिया है। शबनम के अलावा और भी महिला कर्मचारियों को तालिबान ने घुसने नहीं दिया। आरटीए में खदीजा भी काम करती थीं। वह एंकर थीं। खदीजा के मुताबिक उन्हें भी दफ्तर के गेट से भीतर नहीं जाने दिया गया। खदीजा का कहना है कि अब आरटीए दफ्तर में एक भी महिला कर्मचारी नहीं है। सिर्फ पुरुष काम कर रहे हैं। तालिबान अपने हिसाब से प्रोग्राम बनवा रहे हैं और उनका प्रसारण कर रहे हैं।
वहीं खदीजा को भी बाद में पता चला कि आरटीए के डायरेक्टर को बदल दिया गया है और उस पद पर एक तालिबान को बिठाया गया है। कुल मिलाकर महिलाओं के लिए अफगानिस्तान फिर दर्दनाक जगह बन गया है। वे खौफ के साए में जी रही हैं।