नई दिल्ली। इस साल छठ पूजा (Chhath Pooja) 20 नवंबर को पड़ रही है। हर साल छठ का त्योहार शुक्ल पक्ष की छठी तिथि को किया जाता है। इस दिन विशेष रुप से सूर्य देव (Surya Dev) को पूजा जाता है और अर्घ्य दिया जाता है।
छठी से पहले चतुर्थी पर नहाय खाय की विधि होती है। जो छठ पूजा से 2 दिन पहले ही होती है। इसके अगले दिन लोहंडा और खरना मनाया जाता है। इसके बाद छठ पूजा मनाई जाती है। छठ पूजा में शाम को सूर्य देवता को अर्घ्य दिया जाता है। छठ के अगले दिन सप्तमी को सूर्योदय के समय उगते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देते है। इसके बाद पारण किया जाता है।
छठ बेहद कठिन त्योहारों में से एक है। इस सफल बनाने के लिए श्रद्धालु कठिन व्रत रखते है और छठी मईयां की पूजा करते है। इस पूजा को सफल बनाने में सबसे अहम है आरती। छठ मईया की आरती से ना सिर्फ आपकी पूजा सफल होती है, बल्कि आपको छठी मईयां की विशेष कृपा मिलती है। नीचे पढ़े आरती…
जय छठी मैया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
सभे फलवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥