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Karwa Chauth 2021: कब है करवा चौथ?, क्या है पूजा विधि और सामग्री, जानें सबकुछ

Karwa Chauth 2021: करवा चौथ (Karwa chauth 2021) के दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं। ये निर्जला व्रत होता है। पूरा दिन खत्म होने के बाद चांद देखने के बाद इस व्रत को खोला जाता है। व्रत हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर इस व्रत को मनाया जाता है। सूर्योदय से पहले शुरू होने वाला ये व्रत चांद निकलने तक रखा जाता है।

नई दिल्ली। करवा चौथ (Karwa chauth 2021) के दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं। ये निर्जला व्रत होता है। पूरा दिन खत्म होने के बाद चांद देखने के बाद इस व्रत को खोला जाता है। व्रत हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर इस व्रत को मनाया जाता है। सूर्योदय से पहले शुरू होने वाला ये व्रत चांद निकलने तक रखा जाता है।

ये है तिथि और शुभ मुहूर्त

इस बार करवा चौथ का चांद बेहद ही शुभ रहने वाला है। रोहिणी नक्षत्र में चांद निकलेगा और पूजन होगा जिससे व्रत करने वाली महिलाओं को शुभ फलों की प्राप्ति होगी। इस बार 24 अक्टूबर 2021, रविवार सुबह 3 बजकर 1 मिनट पर कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरूआत होगी, जो अगले दिन 25 अक्टूबर को सुबह 5 बजकर 43 मिनट तक रहेगी। वहीं इस दिन चांद निकलने का समय 8 बजकर 11 मिनट पर रहेगा। पूजा का शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर 2021 को शाम 06:55 से लेकर 08:51 तक रहेगा। इस समय अवधि के दौरान पूजा करना शुभ रहेगा।

करवा चौथ व्रत की पूजा सामाग्री

करवा चौथ व्रत की पूजा की कुछ सामाग्री का होना जरूरी होता है। इस सामाग्रियों में चंदन, शहद, अगरबत्ती, चुनरी, पुष्प, कच्चा दूध, मिठाई, जल का लोटा, बिंदी, चूड़ी,गंगाजल, अक्षत (चावल), सिंदूर, महावर, कंघा, मेहंदी, शक्कर, शुद्ध घी, दही, बिछुआ, मिट्टी का टोंटीदार करवा उसका ढक्कन, शक्कर का बूरा, हल्दी, रुई, कपूर, गेहूं, दीपक, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ, लकड़ी का आसन, चलनी और दक्षिणा (दान) के लिए पैसे आदि रख लें।

करवा चौथ व्रत की पूजा विधि

  • आपको सूर्योदय से पहले उठना है क्योंकि इस व्रत की शुरूआत सूर्योदय से पहले होती है।
  • अब महिलाएं सरगी के रूप में मिला हुआ भोजन ग्रहण करें।
  • अब पानी पीएं और भगवान की पूजा करके व्रत (निर्जला) का संकल्प लें।
  • व्रत की शुरूआत के बाद पूरे दिन जल-अन्न कुछ ग्रहण नहीं करें।
  • शाम के समय चांद देखने के बाद व्रत खोलें।
  • पूजा के लिए शाम के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं को स्थापित कर इसमें करवे रखें।
  • अब एक थाली में धूप, दीप, चन्दन, रोली, सिन्दूर रखें।
  • अब एक घी का दीप जलाएं।
  • चांद निकलने के एक घंटे पहले पूजा शुरु कर देनी चाहिए।
  • इस दिन महिलाएं मिलकर पूजा करती हैं।