newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Jagannath Puri Rath Yatra 2021: जगन्नाथ भगवान को लगाया जाता है खिचड़ी का भोग

Jagannath Puri Rath Yatra 2021: जगन्नाथ मंदिर में आपने देखा होगा कि वहां सबसे पहले खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। दरअसल, इसके पीछे भी एक कथा बताई जाती है। जिसमें बताया है कि भगवान जगन्नाथ की एक परम उपासक भक्त थीं कर्मा बाई, जो भगवान को अपना पुत्र मानती थीं और उसी तरह उनसे स्नेह भी करती थीं।

नई दिल्ली। पुरी के जगन्नाथ मंदिर की अपना महत्व है। ये मंदिर अपनी रथ यात्रा के लिए मशहूर है। हर साल आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को जगन्नाथ मंदिर में रथयात्रा निकलती है। ये सालाना उत्सव 9 दिनों तक चलता है। आज से रथयात्रा शुरू हो गई है। हर बार रथयात्रा में भक्तजनों की काफी भीड़ आती थी लेकिन कोरोना के नियमों के चलते इस बार कुछ ही लोगों को यहां आने की मंजूरी मिली है।

रथयात्रा के पहले दिन भगवान के रथ को 5 किमी तक खींचा जाता है, जिसे गुंडीचा मंदिर तक पहुंचाया जाता है। गुंडीचा मंदिर भगवान कृष्ण की मौसी का मंदिर बताया जाता है। वहीं, जगन्नाथ भगवान 8 दिन तक मौसी के यहां रहते हैं और 9वें दिन यानी देवशयनी एकादशी से एक दिन पहले आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को भगवान जगन्नाथ मंदिर में वापस आ जाते हैं।

Rath Yatra from Jagannath Temple

जगन्नाथ मंदिर में लगाया जाता है खिचड़ी का भोग

जगन्नाथ मंदिर में आपने देखा होगा कि वहां सबसे पहले खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। दरअसल, इसके पीछे भी एक कथा बताई जाती है। जिसमें बताया है कि भगवान जगन्नाथ की एक परम उपासक भक्त थीं कर्मा बाई, जो भगवान को अपना पुत्र मानती थीं और उसी तरह उनसे स्नेह भी करती थीं। कर्मा बाई काफी वृद्ध महिला थीं लेकिन हर रोज भगवान जगन्नाथ का भोग लगाना नहीं भूलती थीं।

एक बार कर्मा बाई के मन में आया क्यों न एक बार अपने हाथों से भगवान जगन्नाथ को भोग लगाया जाए लेकिन उनके मन में शंका भी थी कि क्या वह उनको पसंद आएगा भी या नहीं। लेकिन भगवान जगन्नाथ कर्मा बाई की मन इच्छा को जान गए और वह एक दिन सुबह-सुबह उनके घर चले गए और बोला कि मुझे बहुत तेज भूख लगी है इसलिए कुछ जल्दी से बनाकर दे दीजिए। तब जाकर उन्होंने झटपट से खिचड़ी बना दी क्योंकि उसको बनाने में ज्यादा समय नहीं लगता।

 

कर्मा बाई ने भगवान को खिचड़ी परोस दी और खुद पंखा करने लगीं। भगवान बड़े चाव से खिचड़ी खाने लगे और कर्मा बाई से कहा कि मुझे यह बहुत पंसद आई है अब से वे रोज खिचड़ी खाने आएंगे। भगवान जगन्नाथ की बात सुनकर कर्मा बाई बहुत प्रसन्न हुई। उस दिन के बाद से कर्मा बाई हर रोज जल्दी खिचड़ी बना देतीं और भगवान भी खिचड़ी खाने आ जाते और कपाट खुलने से पहले मंदिर वापस चले जाते।