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Sawan 2021: जानें कब से शुरू हो रहा है सावन का महीना और महत्व

Sawan 2021: हिंदू धर्म में सावन (Sawan 2021) का बहुत अधिक महत्व है। श्रावण मास में हर दिन भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा-अर्चना बढ़े ही धूमधाम से की जाती है। मान्यता है कि सावन माह को भगवान शंकर का माह माना जाता है।

नई दिल्ली। हिंदू धर्म में सावन (Sawan 2021) का बहुत अधिक महत्व है। श्रावण मास में हर दिन भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा-अर्चना बढ़े ही धूमधाम से की जाती है। मान्यता है कि सावन माह को भगवान शंकर का माह माना जाता है। ऐसे में इस माह में भोलेनाथ की पूजा जरुर करनी चाहिए। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल श्रावण माह में 25 जुलाई से 22 अगस्त तक सावन का माह पड़ेगा। इसके अलावा इस माह में इस साल कुल 4 सोमवार पड़ रहे हैं।

Devotees gathered to offer prayer on the occasion of Maha Shivratri festival

सावन का महत्व

हिंदू धर्म की पौराणिक मान्यता के अनुसार जब सनत कुमारों ने महादेव से उन्हें सावन माह प्रिय होने का कारण पूछा तो महादेव भगवान शिव ने बताया था कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था। अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने युवावस्था के सावन महीने में निराहार रह कर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया, जिसके बाद ही महादेव के लिए यह विशेष हो गया।

जलाभिषेक के साथ करें पूजन-

भगवान शिव इसी माह में अपनी अनेक लीलाएं रचते हैं। इस महीनें में गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, पंचाक्षर मंत्र इत्यादि शिव मंत्रों का जाप शुभ फलों में वृद्धि करने वाला होता है। श्रावण माह के समय भक्त शिवालय में स्थापित, प्राण-प्रतिष्ठित शिवलिंग या धातु से निर्मित लिंग का गंगाजल व दुग्ध से रुद्राभिषेक कराते हैं। शिवलिंग का रुद्राभिषेक भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इन दिनों शिवलिंग पर गंगा जल द्वारा अभिषेक करने से भगवान शिव अतिप्रसन्न होते हैं।

Hindu devotees pour water and milk over a Lingam

शिवलिंग का अभिषेक महाफलदायी माना गया है। इन दिनों अनेक प्रकार से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है जो भिन्न भिन्न फलों को प्रदान करने वाला होता है। जैसे कि जल से वर्षा और शितलता कि प्राप्ति होती है। दूग्धा अभिषेक एवं घृत से अभिषेक करने पर योग्य संतान कि प्राप्ति होती है। ईख के रस से धन संपदा की प्राप्ति होती है। कुशोदक से समस्त व्याधि शांत होती है। दधि से पशु धन की प्राप्ति होती है ओर शहद से शिवलिंग पर अभिषेक करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।