नई दिल्ली। इस बार मोक्षदा एकादशी 14 दिसंबर यानी कल पड़ रही है। मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi 2021) ये मोक्ष देने वाली एकादशी है। इस एकादशी को लेकर कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इस दिन विधि-विधान के साथ पूजा और व्रत करता है उसके हर पाप का नाश होता है साथ ही कहा जाता है मोक्षदा एकादशी का व्रत (Mokshada Ekadashi Vrat 2021) रखने से पितरों को भी बैकुंठ की प्राप्ति होती है। इस बार मोक्षदा एकादशी 14 दिसंबर यानी कल पड़ रही है। मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) में भगवान विष्णु के मंत्रों का खास महत्व होता है। कहते हैं इस दिन व्रत करने और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप (Bhagwan Vishnu Mnatra Jaap) करने से हर मनोकामना पूरी होती है। तो अगर आप भी इस व्रत को रखने की सोच रहे हैं तो इस कथा को जरूर पढ़ें।
यहां पढ़ें मोक्षदा एकादशी की व्रत कथा (MOkshada Ekadashi Vrat Katha)
पौराणिक कथा के मुताबिक, गोकुल में वैखानस नाम के राजा राज्य था। एक रात राजा वैखानस सपने में देखते हैं कि उनके पिता मृत्यु के बाद नरक की यातनाएं झेल रहे हैं। जब राजा सपने में पिता की ऐसी हालत को देखते हैं तो उन्हें काफी दुख होता है। ऐसे में जब सुबह होती है तो राजा वैखानस राज पुरोहित को बुलाते हैं और उनसे पिता की मुक्ति का मार्ग पूछते हैं। जब पुरोहित रास्ता बताते हैं तो राजा वैखानस पर्वत महात्मा के आश्रम पहुंचते हैं और पिता की मुक्ति का रास्ता पूछते हैं। महात्मा पर्वत राजा वैखानस को बताते हैं कि उनके पिता ने अपने पिछले जन्म में एक पाप किया था, जिस कारण वो नर्क की यातनाएं को भुगत रहें हैं।
वहीं, जब राजा वैखानस ने महात्मा पर्वत से इस पाप से मुक्ति के बारें में पूछा, तो महात्मा उन्हें बताते हैं कि मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी का विधि पूर्वक व्रत और पूजन करें। महात्मा पर्वत ने राजा वैखानस को बताया कि इस एकादशी का व्रत को करने से ही उनके पिता को मु्क्ति मिलेगी। महात्मा के वचनों का अनुसरण करते हुए अनुसार राजा ने मोक्षदा एकादशी का व्रत और पूजा सच्चे और पवित्र मन से करते हैं। व्रत और पूजन के पुण्य प्रभाव से राजा के पिता जो कि नर्कोक की यातनाएं झेल रहें होते हैं उन्हें मुक्ति मिलती है। उनकी मुक्त आत्मा राजा को आशीर्वाद देती है।
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