newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Kharmas/Malmas 2021: खरमास में 1 महीने तक क्यों लग जाती है शुभ कार्यों में रोक, जानिए इसकी कथा

Kharmas / Malmas 2021: अब आने वाली 14 जनवरी 2022 तक कोई भी शुभ काम नहीं हो पाएंगे। ज्योतिष के अनुसार, सूर्य की धीमी चाल और बृहस्पति के कम प्रभाव के कारण इस दौरान किसी भी तरह के शुभ काम नहीं हो सकेंगे। तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं इस दौरान क्यों बंद होते हैं शुभ कार्य और खरमास की कथा

नई दिल्ली। आज गुरूवार 16 दिसंबर से खारमास की शुरूआत हो गई है। कई जगहों पर इसे मलमास के नाम से जाना जाता है। आज ही के दिन सूर्य ने धनु राशि में प्रवेश करता है ऐसे में इसका एक नाम धनु संक्रांति भी है। जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता है तो एक महीने तक शादी, सगाई, विदाई, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कामों में रोक लग जाती है। यानी अब आने वाली 14 जनवरी 2022 तक कोई भी शुभ काम नहीं हो पाएंगे। ज्योतिष के अनुसार, सूर्य की धीमी चाल और बृहस्पति के कम प्रभाव के कारण इस दौरान किसी भी तरह के शुभ काम नहीं हो सकेंगे। तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं इस दौरान क्यों बंद होते हैं शुभ कार्य और खरमास की कथा…

kharmas

इसलिए नहीं होते है शुभ कार्य

ज्योतिष के अनुसार, बृहस्पति धनु राशि का स्वामी होता है। बृहस्पति जब अपनी ही राशि में प्रवेश करता है तो ये व्यक्ति के लिए अच्छा नहीं होता। ऐसा होने से इंसान की कुंडली में सूर्य कमजोर पड़ने लगता है। इस राशि में सूर्य के मलीन होने के कारण ही इसे मलमास भी कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि खरमास में सूर्य का स्वभाव उग्र हो जाता है। ऐसे में सूर्य के कमजोर स्थिति में होने के कारण ही इस पूरे महीने में शुभ काम नहीं किए जाते।

jyotish kharmas

खरमास की कथा (Kharmas Katha)

खरमास की पौराणिक कथा के मुताबिक, सूर्यदेव जब अपने सात घोड़ों पर सवार होकर ब्रह्मांड का चक्कर लगाने के लिए निकलते हैं तो कहीं भी न रूकने के कारण सूर्यदेव के घोड़ों को थकान होने लगती है। ऐसे में रथ की गति भी कम हो जाती है। जब सूर्य देव घोड़ों को प्यास के कारण थकते हुए देखते हैं तो वो भावुक हो जाते हैं और घोड़ों को पानी पिलाने के लिए एक तालाब के पास लेकर जाते हैं। जब सूर्य देव अपने घोड़ों को पानी पिला रहे होते हैं तो उन्हें ये आभास होता है कि अगर रथ रूका तो अर्नथ हो जाएगा। ऐसे में सूर्य देव तालाब के पास मौजूद दो खर (गधों) को देखते हैं। बाद में सूर्य देव इन्हीं खरों को अपने रथ के आगे जोड़ लेते हैं लेकिन ये खर बड़ी ही मुश्किल के साथ सूर्यदेव के रथ को खींच पाते हैं। खरों की धीमी गति के कारण रथ की गति भी धीमी हो जाती है। ऐसे में सूर्य देव के लिए ब्रह्मांड का चक्कर पूरा करना मुश्किल हो जाता है। इस बीच सूर्य देव के घोड़े आराम कर चुके होते हैं जिसके बाद सूर्यदेव एक बार फिर अपने रथ में घोड़ों के जोड़ देते हैं जिससे रथ अपनी पूरानी गति में आ जाता है और चक्कर पूरा होता है। ऐसा कहा जाता है कि हर साल इसी खरमास में सूर्य के घोड़े आराम करते हैं।