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अब क्या करेंगे केजरीवाल, सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली तो करना होगा ट्रायल का सामना

इस बारे में हमने वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक अग्रवाल से बात की। बता दें कि अशोक अग्रवाल वही अधिवक्ता हैं जिन्होंने दिल्ली में स्कूलों की दुर्दशा को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। याचिका में कहा गया था कि जैसा दिल्ली के शिक्षा मॉडल को लेकर दिल्ली सरकार द्वारा विज्ञापनों में दावा किया जाता है, स्कूलों की स्थिति बिल्कुल इसके उल्ट है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री जो स्वयं को कट्टर ईमानदार बोलकर दावा करते हैं कि उनसे ज्यादा ईमानदार व्यक्ति देश की राजनीति में है ही नहीं। उन्हीं कट्टर ईमानदार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उस याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने अपनी गिरफ्तारी को अवैध ठहराने की मांग की थी। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि उनकी गिरफ्तारी के लिए ईडी के पास आधार था इसलिए उन्हें गिरफ्तार किया गया। केजरीवाल के पास विकल्प तो हैं लेकिन यदि उन्हें राहत नहीं मिली तो उन्हें ट्रायल का सामना करना पड़ेगा।
बहरहाल हाईकोर्ट के इस निर्णय के खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। न्यायालय ने उनके वकीलों से इस संबंध में ईमेल करने को कहा है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट का चार दिन का अवकाश है। इसके बाद ही उनके मामले पर सुनवाई होगी। आगे निर्णय क्या होगा ? यह तो सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद ही पता चलेगा, लेकिन जमानत याचिका दायर करने की बजाए अपनी गिरफ्तारी को ही अवैध ठहराने की याचिका लगाना दर्शाता है कि केजरीवाल कानून के रास्ते जमानत मांगने के बजाए एक ही झटके में मामले को खत्म करवाना चाहते थे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। यदि ऐसा होता तो इतने दिनों तक ईडी ने जो जांच की उसका कोई अर्थ ही नहीं रह जाता। कानून की भाषा में कहा जाए तो पूरा केस ही खत्म हो जाता।

इस बारे में हमने वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक अग्रवाल से बात की। बता दें कि अशोक अग्रवाल वही अधिवक्ता हैं जिन्होंने दिल्ली में स्कूलों की दुर्दशा को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। याचिका में कहा गया था कि जैसा दिल्ली के शिक्षा मॉडल को लेकर दिल्ली सरकार द्वारा विज्ञापनों में दावा किया जाता है, स्कूलों की स्थिति बिल्कुल इसके उल्ट है। इस याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले महीने 20 मार्च को आदेश दिया था कि अग्रवाल दिल्ली सरकार के स्कूलों का दौरा कर उसकी रिपोर्ट कोर्ट के सामने प्रस्तुत करें। रिपोर्ट जमा करने के बाद हाईकोर्ट ने जो तल्ख टिप्पणी की थी वह मीडिया में सुर्खियां बनीं।

इसके तत्काल बाद एक और झटका हाईकोर्ट से केजरीवाल को लगा और उनकी गिरफ्तारी को अवैध ठहराने की याचिका को खारिज कर दिया गया। जब इस बारे में हमने अधिवक्ता अशोक अग्रवाल से बात की तो उनका कहना था कि अरविंद केजरीवाल इस मामले को लेकर सर्वोच्च न्यायालय तो गए ही हैं, लेकिन हाईकोर्ट ने जिस तरह की टिप्पणी की और ईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी को वैध ठहराते हुए हाईकोर्ट ने आदेश दिया है, उसको सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पलट दिया जाए ऐसी गुंजाइश बहुत ही कम है। यदि सर्वोच्च न्यायालय से राहत नहीं मिलती है तो उनके पास फिर तीन ही विकल्प बचते हैं। वह निचली अदालत में जमानत के लिए अर्जी लगा सकते हैं, वहां से राहत न मिलने पर हाईकोर्ट जा सकते हैं, यदि वहां से भी राहत नहीं मिलती तो वह सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं। दरअसल केजरीवाल यह भली भांति जानते हैं कि ऐसा करने में काफी समय लगेगा, इसलिए उन्होंने सबसे पहले दूसरा रास्ता अपनाया जिसमें अभी तक तो उन्हें सफलता नहीं मिली है।

बता दें कि ईडी द्वारा लगातार समन पर समन भेजे जाने के बाद भी जब अरविंद केजरीवाल जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए थे, तब भी उन्होंने कोर्ट से यह राहत मांगी थी कि यदि ईडी के समन पर वह पूछताछ के लिए जाते हैं तो उन्हें गिरफ्तार न किया जाए। कोर्ट ने ऐसी कोई भी राहत देने से इंकार कर दिया था। इसके बाद ईडी ने उसी दिन कार्रवाई करते हुए केजरीवाल को उनके निवास स्थान से गिरफ्तार कर लिया था। अग्रवाल कहते हैं, दरअसल केजरीवाल को संभवत: अंदाजा रहा होगा कि ईडी के पास उनके खिलाफ पुख्ता साक्ष्य हैं। इसलिए वह एजेंसी के सामने पेश होने से बच रहे थे।

डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं ।