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कम से कम भ्रष्टाचार के मुद्दे पर तो भाजपा को घेरने में सक्षम नहीं है विपक्ष

कांग्रेस के शासनकाल में 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले से सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ था। इसके अलावा शारदा चिटफंड घोटाला, आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाला,अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाला आदि भी कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान चर्चा में रहे थे।

पिछले दस सालों से सत्ता पर काबिज नरेंद्र मोदी सरकार ने इस बार भ्रष्टाचार पर बाकायदा नारा दिया है “मोदी कहता है कि भ्रष्टाचार हटाओ, विपक्ष कहता है कि  भ्रष्टाचारी बचाओ।”  हर बार की तरह इस लोकसभा चुनाव में भी भ्रष्टाचार एक महत्वपूर्ण और बड़ा मुद्दा है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विपक्ष कितना भी प्रयास करे लेकिन भाजपा के खिलाफ भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाने में कामयाब नहीं हो पाएगा, क्योंकि पिछले दस सालों में जब भी विपक्ष ने भ्रष्टाचार के मामले में मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की है उसे मुंह की ही खानी पड़ी है।हाल ही में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने चुनावी बॉण्ड को लेकर भाजपा पर बड़ा आरोप लगाया था, राहुल गांधी ने कहा था कि इलेक्टोरल बॉन्ड दुनिया का सबसे बड़ा किश्त वसूली रैकेट है और इसमें वसूली के लिए सीबीआई, ईडी, आयकर विभाग को शामिल किया गया है। उन्होंने इसे भ्रष्टाचार बताते हुए इसके पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हाथ बताया था। बहरहाल, राहुल गांधी आरोप लगाने से पहले यह भूल गए कि भ्रष्टाचार जैसे किसी भी मुद्दे पर वह भाजपा को आज तक घेर नहीं सके हैं। भाजपा के शासनकाल में पिछले दस सालों के दौरान कोई घोटाला सामने नहीं आया हैं। राफेल विमानों की खरीद के मुद्दे पर राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगातार निशाना बनाया, भ्रष्टाचार का लगातार आरोप लगाया, लेकिन वह सफल नहीं हो पाए।

वहीं, कांग्रेस की बात करें तो राहुल गांधी के पिता और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी ने खुद एक बार कहा था कि सरकार गरीब जनता तक जो लाभ पहुंचाना चाहती है तो उसका मात्र 15 प्रतिशत ही जनता तक पहुंच पाता है। उन्होंने उदाहरण दिया था कि यदि एक रुपये का लाभ जनता तक पहुंचाना चाहते हैं तो 85 प्रतिशत तो रास्ते में कमीशन खोरी और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है। संभवत: उनका इशारा प्रशासनिक खामियां उजागर करने का रहा होगा। या यूं कहें कि कांग्रेस के राज में भ्रष्टाचार होता था इसे इसकी स्वीकारोक्ति भी कहा जा सकता है।

बहरहाल, भाजपा पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाली कांग्रेस को पता होना चाहिए कि 2014 से पहले दस सालों तक कांग्रेस की सरकार थी। इसी कार्यकाल में बहुत बड़े —बड़े घोटाले सामने आए थे। मनमोहन सिंह भारत के दस वर्षों तक प्रधानमंत्री रहे। उनके कार्यकाल के दौरान उन पर आरोप लगते रहे कि वह सिर्फ नाम के पीएम हैं। छोटे—बड़े सभी निर्णय दस जनपथ से ही लिए जाते हैं। उनके दस वर्षों के कार्यकाल के दौरान कई बड़े घोटाले सामने आए, जिसके चलते कांग्रेस की किरकिरी हुई।

कांग्रेस के कार्यकाल में हुए घोटालों की बात करें तो कोल ब्लाक आवंटन घोटाला यूपीए के दूसरे कार्यकाल में ही सामने आया था। 2012 में यह घोटाला सामने आया। इस घोटाले में निजी कंपनियों के लिए कोयला ब्लॉकों के आवंटन में अनियमितताएं और भ्रष्टाचार किया जाना शामिल था। सीएजी ने अनुमान लगाया था कि इस घोटाले से सरकारी खजाने को लगभग  1.86 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। सर्वोच्च न्यायालय में मामला पहुंचा तो न्यायालय ने ऐसे 204 आवंटनों को रद्द कर दिया था। अभी भी इस मामले में कई लोगों पर मुकदमा चल रहा है।

कांग्रेस सरकार में दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन हुआ था। इन खेलों में बड़ा भ्रष्टाचार होने की बात सामने आई थी। आज देश 5जी तक पहुंच चुका है  जबकि कांग्रेस के शासनकाल में 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले से सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ था। इसके अलावा शारदा चिटफंड घोटाला, आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाला,अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाला आदि भी कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान चर्चा में रहे थे। कांग्रेस और तमाम विपक्षी दलों को भाजपा पर आरोप लगाने पहले अपने गिरेबान में जरूर झांक लेना चाहिए।  हेराल्ड हाउस मामले में राहुल गांधी और सोनिया गांधी खुद जमानत पर बाहर हैं। राजद मुखिया लालू प्रसाद भी जमानत पर हैं। नौकरी के बदले भूमि मामले में उनकी और उनके परिवार की संलिप्तता की जांच की जा रही है। ऐसे में कम से कम भ्रष्टाचार जैसा मुद्दा विपक्ष के लिए नहीं रह जाता है जिस पर वह भाजपा को घेर सके।

डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं