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Crude: कच्चे तेल के दाम 130 डॉलर पार, जानिए पेट्रोल-डीजल की कीमत पर क्या बोले BPCL के MD

हकीकत ये है कि दुनिया का कोई भी देश पेट्रोल और डीजल में महंगाई नहीं चाहता। ऐसे में ओपेक संगठन और अन्य देश अपने कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने को मजबूर होंगे और इस वजह से कीमतें फिर 90 डॉलर प्रति बैरल के आसपास आने की पूरी उम्मीद है।

नई दिल्ली। यूक्रेन पर रूस का हमला जारी है और इस हमले की वजह से जरूरी चीजों की कीमतें आसमान छू रही हैं। इन्हीं जरूरी चीजों में कच्चा तेल भी है। कच्चा तेल युद्ध से पहले करीब 90 डॉलर प्रति बैरल था। अब इसकी कीमत 130 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया है। कच्चे तेल की कीमत में लगी आग के बावजूद भारत में अब तक तेल कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल की कीमतें नहीं बढ़ाई हैं, लेकिन आसार हैं कि इन दोनों जरूरी चीजों की कीमत बढ़ने ही वाली है। दरअसल, तेल कंपनियों को महंगा कच्चा तेल खरीदने की वजह से पेट्रोल और डीजल में 12 से 15 रुपए का नुकसान हो रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि महंगे कच्चे तेल की वजह से महंगाई कितना हाहाकार मचाएगी ?

bpcl md ak singh

इस सवाल का जवाब सरकारी तेल कंपनी बीपीसीएल के चेयरमैन और एमडी अरुण कुमार सिंह ने दिया है। अरुण का मानना है कि अगले दो हफ्ते में कच्चे तेल की कीमत एक बार फिर गिर सकती है। उन्होंने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में ये उम्मीद जताई। बीपीसीएल प्रमुख ने कहा कि भले ही रूस कह रहा हो कि उसके कच्चे तेल पर अमेरिका की पाबंदी से भाव 300 डॉलर प्रति बैरल हो सकता है, लेकिन हकीकत ये है कि दुनिया का कोई भी देश पेट्रोल और डीजल में महंगाई नहीं चाहता। ऐसे में ओपेक संगठन और अन्य देश अपने कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने को मजबूर होंगे और इस वजह से कीमतें फिर 90 डॉलर प्रति बैरल के आसपास आने की पूरी उम्मीद है।

अरुण कुमार सिंह की इस बात में इसलिए भी दम लग रहा है, क्योंकि अपने पुराने दुश्मन वेनेजुएला से अमेरिका करीबी बढ़ा रहा है। बीते दिनों अमेरिका के अफसर वेनेजुएला गए थे। जिसके बाद वेनेजुएला सरकार ने दो अमेरिकियों को जेल से रिहा भी कर दिया है। वेनेजुएला के पास दुनिया का सबसे बड़ा कच्चे तेल का भंडार है। अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से वो कच्चा तेल बेच नहीं पाता, लेकिन रूस पर प्रतिबंध लगने के बाद माना जा रहा है कि वेनेजुएला को कच्चा तेल बेचने की मंजूरी मिल सकती है। इससे बाजार में कीमतें काफी कम होंगी।