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Cryptocurrency: अलग-अलग हैं डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी, जानिए दोनों में क्या है अंतर

Cryptocurrency: डिजिटल करेंसी सरकारी फ्लैट करेंसी यानी रुपया, डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म को कहते हैं। डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल कॉन्टैक्टलेस पेमेंट करने में किया जाता है। लेकिन क्रिप्टोकरेंसी एक वर्चुअल करेंसी होती है, इसका कोई फिजिकल फॉर्म नहीं होता है। ना आप इसे छू नहीं सकते हैं, और इसकी वैल्यू भी असाइन की गई कीमत में होती है। जिन्हें डिजिटल कॉइन्स कहते हैं।

नई दिल्ली। पिछले दशक से मॉनेटरी सिस्टम में डिजिटल क्रांति देखी जा रही है। लोगों ने डिजिटल करेंसी के साथ-साथ डिजिटल वॉलेट्स का इस्तेमाल करना भी शुरू कर दिया है। जिसका कारोबार अब बड़े स्तर पर फैलता हुआ देखा जा रहा है। लॉकडाउन के चलते लोगों ने डिजिटल वॉलेट्स और डिजिटल ट्रांजेक्शन को और भी बड़े स्तर पर अपनाना शुरू कर दिया है। अब क्रिप्टोकरेंसी की बढ़ती लोकप्रियता से वर्चुअल करेंसी और वर्चुअल वॉलेट का कॉन्सेप्ट भी सामने आ गया है। लेकिन लोगों ने डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी को एक ही समझते हैं। लेकिन हम आपको बता दें कि दोनों में काफी अंतर होता है।

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डिजिटल करेंसी

डिजिटल करेंसी सरकारी फ्लैट करेंसी यानी रुपया, डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म को कहते हैं। डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल कॉन्टैक्टलेस पेमेंट करने में किया जाता है। लेकिन क्रिप्टोकरेंसी एक वर्चुअल करेंसी होती है, इसका कोई फिजिकल फॉर्म नहीं होता है। ना आप इसे छू नहीं सकते हैं, और इसकी वैल्यू भी असाइन की गई कीमत में होती है। जिन्हें डिजिटल कॉइन्स कहते हैं।

सिक्योरिटी और इस्तेमाल

डिजिटल करेंसी को एन्क्रिप्शन की जरूरत नहीं होती है, लेकिन यूजर्स को अपने डिजिटल वॉलेट्स यानी की बैंकिंग ऐप या पेमेंट ऐप्स को स्ट्रॉन्ग पासवर्ड के जरिए सेफ रखना होता है। इसके साथ ही अलावा डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड को पासवर्ड के जरिए सुरक्षित रखा जाता है। डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल किसी भी ऑनलाइन माध्यम से किया जा सकता है। लेकिन क्रिप्टोकरेंसी की सुरक्षा के लिए मजबूत और जटिल एन्क्रिप्शन की जरूरत होती है। क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेडिंग करने और इसे खरीदने और बेचने के लिए बैंक अकाउंट और डिजिटल करेंसी की जरूरत होती है।

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डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी के नियम

डिजिटल करेंसी फ्लैट मनी का ही इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म मानी जाती है। जिसका नियमन भी वही संस्थाएं देखती हैं जो फ्लैट करेंसी का नियमन देखती हैं। फ्लैट करेंसी की एक निश्चित नियामक संस्था होती है, जो मौद्रिक नीतियां बनाती है। लेकिन क्रिप्टोकरेंसी एक डिसेंट्रलाइज़्ड सिस्टम पर बना है, जिसका कोई एक नियामक बिंदु नहीं होता है।

स्थिरता

डिजिटल करेंसी स्थिर ही रहती है। जिससे बाजार में अचानक तूफान नहीं आता। विश्व भर में इसे मान्यता भी मिली हुई है। इसके ट्रांजैक्शन में भी किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं आती। लेकिन क्रिप्टोकरेंसी बाजार बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव देखा जाता है।

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पारदर्शिता

डिजिटल करेंसी का सिस्टम बहुत ही प्राइवेट होता है। जिसके ट्रांजैक्शन की जानकारी बस सेंडर, रिसीवर और बैंकिंग अथॉरिटी के पास रहती है। लेकिन क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में जो भी ट्रांजैक्शन होती है, उसकी जानकारी सभी के पास होती है।