नई दिल्ली। हर बाजार की तरह क्रिप्टोकरेंसी बाजार में भी उतार-चढ़ाव देखा जाता है। इस बाजार में उतार-चढ़ाव कुछ ज्यादा ही होता है। जो लोग शेयर मार्केट की शब्दावली जानते है उन्हें तो पता ही होगा कि बाजार में उतार-चढ़ाव को बुल (Bull) और बेयर (Bear) कहते हैं। बाजार में वॉलेटिलिटी साल में कभी भी देखी जा सकती है। ऐसे वक्त में सुरक्षित फैसले लेना किसी के लिए भी मुश्किल हो सकता है। खासकर उनके लिए जो क्रिप्टो के निवेशक हैं।
क्रिप्टो मार्केट में बहुत ज्यादा वॉलेटाइल देखा जाता है, ऐसे में यह कहना आसान नहीं होता कि हम बेयर मार्केट में हैं या बेयर मार्केट से बाहर निकल रहे हैं। साधारणतः गिरावट में चल रहे बाजार को बेयर मार्केट तब कहते हैं, जब स्टॉक/कमोडिटी की कीमतें उनकी पिछली ऊंचाई से 20 फीसदी से ज्यादा गिर जाती हैं, शेयरों पर निगेटिव रिटर्न मिलने लगता है।
सही वक्त पर करें निवेश
जिस समय मार्केट में गिरावट दर्ज की जा रही हो, उस टाइम आप कुछ निवेश कर सकते हैं। यह आपकी लॉन्ग टर्म तक मदद कर सकता है। बेयर मार्केट के साथ दिक्कत यह भी होती है कि आपको नहीं पता होता है कि गिरावट कब तक रह सकती है, या फिर कीमतों में कहां तक गिरावट देखी जा सकती है।
क्रिप्टोकरेंसी प्रोफाइल का डाइवर्स रखें
यदि आप अभी तक सिर्फ एक ही करेंसी में निवेश कर रहे हैं, तो बेयर मार्केट में एक्सपेरिमेंट करने का अच्छा मौका मिल सकता है। ऐसा जरूरी नहीं है कि हर क्रिप्टोकरेंसी की कीमत में गिरावट आती है।
लॉन्ग टर्म का सोचें
बेयर मार्केट में आप लॉन्ग टर्म की सोचकर निवेशक अच्छा फैसला ले सकते हैं। ऐसे वक्त में जब कीमतें कम हैं और आप उनमें निवेश करते हैं, तो इसका लॉन्ग टर्म में फायदा देखा जा सकता है। ऐसे वक्त में शॉर्ट टर्म के लिए निवेश करना ज्यादा फायदे का सौदा नहीं हो सकता।