नई दिल्ली। सैफ अली खान की वेब सीरीज ‘तांडव’ (Tandav) पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। देश के कई राज्यों में इस वेब सीरीज को लेकर एफआईआर दर्ज की गई है। तांडव पर आरोप है कि इसमें हिंदू देवी देवताओं का अपमान किया गया है। लगातार सोशल मीडिया पर इस सीरीज के बैन करने की मांग उठी। अब बुधवार को मेकर्स और जीशान अयूब की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में सुनवाई हुई। जिसमें उन्होंने गिरफ्तारी से सुरक्षा की मांग की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है।
तांडव में सैफ अली खान समेत अन्य अभिनेताओं ने अभिनय किया है और अली अब्बास जफर इसके निर्देशक हैं। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने केवल देश भर में पंजीकृत विभिन्न एफआईआर की क्लबिंग पर नोटिस जारी किया और अभिनेता जीशान अयूब और अन्य को मामलों में एफआईआर या जमानत रद्द करने के लिए उच्च न्यायालयों का रूख करने को कहा।
वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस. नरीमन ने तांडव के कलाकारों और निर्माताओं के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई के आदेश नहीं देने का अनुरोध किया। हालांकि, पीठ ने राहत देने से इनकार कर दिया और कहा कि आप उच्च न्यायालय जाएं। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि वह एफआईआर क्लब करने के अनुरोध पर विचार कर सकता है, लेकिन वह सीआरपीसी के तहत उच्च न्यायालय की शक्ति नहीं ले सकता।
Supreme Court is hearing petitions by actor Mohd Zeeshan Ayyub, Amazon Prime Video (India) & makers of ‘Tandav’, seeking protection from arrest & clubbing of several FIRs registered against them for allegedly hurting religious sentiments and telecasting ‘objectionable content’. pic.twitter.com/5m78FVDWEA
— ANI (@ANI) January 27, 2021
वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाने के आदेश देने, एफआईआर को क्लब करने और पार्टियों को नोटिस जारी करने का अनुरोध किया, जिसके बाद उच्चतम न्यायालय ने यह आदेश सुनाया। दोपहर के भोजन से पहले, शीर्ष अदालत ने कहा कि अमेजन प्राइम पर तांडव वेब श्रृंखला के अभिनेताओं और निर्माताओं के खिलाफ एफआईआर पर रोक की मांग पर सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से माना था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता निरपेक्ष नहीं है।
लूथरा ने तर्क दिया कि तांडव के निर्देशक को परेशान किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “इस तरह से देश में स्वतंत्रता की रक्षा की जानी चाहिए और देश भर में एफआईआर दर्ज की जा रही हैं।” पीठ ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता निरपेक्ष नहीं है और यह प्रतिबंधों के अधीन है।
नरीमन ने कहा कि माफी मांग ली गई है, और इसके बावजूद छह राज्यों में कई प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। न्यायमूर्ति भूषण ने जवाब दिया , “आप चाहते हैं कि एफआईआर को खत्म कर दिया जाए, फिर आप उच्च न्यायालयों से संपर्क क्यों नहीं कर सकते?” नरीमन ने कहा कि वेब श्रृंखला निमार्ताओं ने आपत्तिजनक सामग्री को हटा दिया है और अभी भी उनके खिलाफ मामले दर्ज किए जा रहे हैं। पीठ ने कहा कि अगर माफी दी गई है तो पुलिस भी क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर सकती है।