नई दिल्ली। फिल्म आदिपुरुष को लेकर विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। जब से फिल्म रिलीज हुई है कोई ना कोई कॉन्ट्रोवर्सी हो ही रही है। पहले फिल्म के टीजर को देखकर लोग इसके वीएफएक्स और सैफ अली खान के लुक को लेकर विरोध कर रहे थे। लेकिन अब फिल्म को देखने के बाद लोग इसके डॉयलॉग को लेकर भी अपना गुस्सा जाहिर कर रहे है। फिल्म के डॉयलॉग को सुनने के बाद हर किसी का कहना है कि यह हिंदू धर्म की आस्था के खिलाफ है। हालांकि, मेकर्स ने इसको लेकर एक बयान भी जारी किया कि जो डॉयलॉग लोगों को पसंद नहीं है वो हटाए जाएंगे। फिर भी लोगों में इस फिल्म को लेकर गुस्सा कम होने का नाम नहीं ले रहा है। अब इस बीच फिल्म के राइटर मनोज मुंतशिर ने भी इसको लेकर एक बयानबाजी की है।
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मनोज मुंतशिर ने कहा हमने रामायण नहीं बनाई
दरअसल, मनोज मुंतशिर ने कहा कि इस फिल्म का नाम ‘आदिपुरुष’ है ना कि रामायण। हमने रामायण नहीं बनाई है बल्कि हम सिर्फ इससे इंस्पायर्ड है। वहीं इसके बाद फिल्म के डायरेक्टर ओम राउत ने भी इस पर बयान दिया और कहा कि रामायण को पूरी तरह समझने की झमता किसी के पास नहीं है। गौरतलब हैं कि इन सब विवादों के बाद फिल्म के कलेक्शन में गिरावट देखने को मिली है। आदिपुरुष रिलीज होने के पांचवें दिन अब फिल्म ठंडी पड़ गई। हालांकि, इस बात में कोई दोराहा नहीं हैं कि इन सब विवादों के बावजूद फिल्म ने पहले दिन ताबड़तोड़ कमाई की थी।
रामकथा से पहला पाठ जो कोई सीख सकता है, वो है हर भावना का सम्मान करना.
सही या ग़लत, समय के अनुसार बदल जाता है, भावना रह जाती है.
आदिपुरुष में 4000 से भी ज़्यादा पंक्तियों के संवाद मैंने लिखे, 5 पंक्तियों पर कुछ भावनाएँ आहत हुईं.
उन सैकड़ों पंक्तियों में जहाँ श्री राम का यशगान…— Manoj Muntashir Shukla (@manojmuntashir) June 18, 2023
डॉयलॉग को हटाने को भी कहा
वहीं आपको बता दें कि मनोज मुंतशिर ने इससे पहले भी इस फिल्म को लेकर कई बयान दिए है। वहीं मनोज ने अपने ट्विटर में ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी कि जिन डॉयलॉग से लोगों को आहत पहुंचा है उन डॉयलॉग को हटाया जाएगा। मनोज ने लिखा ‘रामकथा से पहला पाठ जो कोई सीख सकता है, वो है हर भावना का सम्मान करना, सही या ग़लत, समय के अनुसार बदल जाता है, भावना रह जाती है, आदिपुरुष में 4000 से भी ज़्यादा पंक्तियों के संवाद मैंने लिखे, 5 पंक्तियों पर कुछ भावनाएँ आहत हुईं।’
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मनोज ने यह भी लिखा कि ये पोस्ट क्यों?, क्योंकि मेरे लिये आपकी भावना से बढ़ के और कुछ नहीं है, मैं अपने संवादों के पक्ष में अनगिनत तर्क दे सकता हूँ, लेकिन इस से आपकी पीड़ा कम नहीं होगी। मैंने और फ़िल्म के निर्माता-निर्देशक ने निर्णय लिया है, कि वो कुछ संवाद जो आपको आहत कर रहे हैं,
हम उन्हें संशोधित करेंगे, और इसी सप्ताह वो फ़िल्म में शामिल किए जाएँगे।