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Ravindra Jain B’Day: क्या है रवींद्र जैन का वो किस्सा? जब राजकपूर ने सवा रूपये में खरीद लिया था संगीतकार का गाना

Ravindra Jain B’Day: रवींद्र जैन जन्म से नेत्रहीन थे। उनका जन्म 28 फरवरी 1944 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में हुआ था। रविंद्र जैन अपने सात भाई-बहनों में तीसरे नंबर के थे।

नई दिल्ली। हिंदी सिनेमा को अपने खूबसूरत संगीत से सजाने वाले मशहूर संगीतकार और गायक रविंद्र जैन का आज जन्मदिन है। उन्होंने म्यूजिक इंडस्ट्री को एक से बढ़कर एक कई यादगार गीत दिए। रवींद्र जैन जन्म से नेत्रहीन थे। उनका जन्म 28 फरवरी 1944 को उत्तर प्रदेश के ‘अलीगढ़’ जिले में हुआ था। रविंद्र जैन अपने सात भाई-बहनों में तीसरे नंबर के थे। कहा जाता है कि जन्म के समय उनकी आंखें इतनी बंद थीं कि उसमें चीरा लगाकर उसे खोलना पड़ा था, लेकिन फिर भी उन आंखों में रोशनी न आ सकी। रवींद्र जैन ने अपनी पढ़ाई अलीगढ़ विश्वविद्यालय के ब्लाइंड स्कूल से पूरी की थी। महज 4 साल की उम्र में ही उन्होंने संगीत की तालीम लेनी शुरू कर दी थी। इसके बाद उन्होंने कोलकाता में कई दिनों तक शिक्षक के रूप में काम किया। धीरे- धीरे उनकी आवाज का जादू पूरे कोलकाता पर छाने लगा और वो कोलकाता में हिट होने लगे। एक दिन एक व्यक्ति ने उन्हें अपने घर पर भोजन का निमंत्रण दे दिया।

रवींद्र जैन मन में हलवा पूड़ी और न जाने किन-किन पकवानों की उम्मीद लिए पहुंच गये उनके घर…। काफी देर तक गीत-संगीत चलता रहा, लेकिन भोजन का कोई अता-पता नहीं था। आखिर में उन्होंने पूछ ही लिया, तो पता चला कि आमंत्रण ‘भजन’ का था, लेकिन निमंत्रण देने वाला व्यक्ति बंगाली एक्सेंट का था और उसने भजन को ‘भोजोन’ कहा था, जिसे रवींद्र ने  ‘भोजन’ समझ लिया था। इसके अलावा उनका एक किस्सा और भी मशहूर है, जब राजकपूर की मुलाकात रवींद्र जैन से एक गीत-संगीत के प्रोग्राम में हुई। राजकपूर ने रवींद्र जैन की परफॉरमेंस के खुश होकर उनकी पत्नी ‘दिव्या’ को सवा रुपए दिए और कहा, ‘अगर ये गीत किसी को नहीं दिया है तो मेरा हुआ।’ बाद में शायद राजकपूर ये बात भूल गए, लेकिन उन्हें रवींद्र जैन याद रहे और उनका एक-दूसरे के घर आना-जाना शुरू हो गया। इसके कुछ महीनों बाद रवींद्र राजकपूर के घर पर बैठे थे, तभी बात करते करते अचानक वो चिंता में आ गए।

रवींद्र के पूछने पर उन्होंने कहा, “राम तेरी गंगा मैली’ नाम की मूवी बना रहा हूं, लेकिन समस्या ये है कि मैंने ही ‘जिस देश में गंगा बहती है’ बनाई है, मैं ही ‘राम तेरी गंगा मैली’ बना रहा हूं, लोग क्या सोचेंगे?” ये बात सुनते ही रवींद्र जैन ने हारमोनियम उठाया और उसी वक्त एक लाइन दे दी- ‘राम तेरी गंगा मैली हो गई, पापियों के पाप धोते-धोते।’ इसके बाद राजकपूर ने कहा, “बस! अब मैं अपनी फिल्म का टाइटल जस्टिफाई कर सकता हूं।” और इस एक लाइन की वजह से रवींद्र जैन को ‘राम तेरी गंगा मैली’ के लिए साइन कर लिया गया।