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Patkar NGO: पर्यावरणविद् मेधा पाटकर के 12 संदिग्ध बैंक खाते आए सामने, सरकार विरोधी गतिविधियों में लगा निधि के इस्तेमाल होने का आरोप

Patkar NGO: 2007 से 2014 के दौरान इन 14 बैंक खातों में 7,82,18,597 रूपए जमा किए गए थे। वहीं, जांच एजेंसी की जांच में खुलासा हुआ है कि, 12 बैंक खातों में से 6 बैंक खाते महज 13 माह के दरम्यान ही बंद हो गए, जबकि 6 बैंक खाते अभी-भी सक्रिय हैं। जांच में यह भी खुलासा हुआ कि जिन बैंक खातों को बंद किया गया था, उनमें से 6 बैंक खातों में 21,20,150 रूपए जमा किए गए थे।

नई दिल्ली। पर्यावरणविद् मेधा पाटकर के 13 संदिग्ध बैंक खाते प्रकाश में आए हैं। मेधा नर्मदा नवनिर्माण अभियान एनजीओ की संचालिका हैं। वहीं, जांच एजेंसी उन 12 बैंक खातों की जांच कर रही है, जिनका इस्तेमाल वित्त निधि को चुनौती देने हेतु किया गया था। ये सभी बैंक खाते बैंक ऑफ इंडिया में खोले गए थे। जांच एजेंसियों के मुताबिक, इनमें से कुछ खाते अलग-अलग बैंक खातों के नाम से खोले गए थे, जिनका गठन मेधा द्वारा ही किया गया था। इन बैंक खातों को 2011 से 2018 के दौरान ही खोले गए थे। वहीं, इन खातों में 4 करोड़ 25 लाख के तकरीबन रकम जमा की गई थी। हालांकि, पूर्ववर्ती जानकारी के मुताबिक, नर्मदा नवनिर्माण अभियान के दो खाते थे। जिनमें से एक खाता बैंक ऑफ इंडिया में खोला गया था, तो एक खाता एचडीएफसी बैंक में खोला गया था।

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उधर, 2007 से 2014 के दौरान इन 14 बैंक खातों में 7,82,18,597 रूपए जमा किए गए थे। वहीं, जांच एजेंसी की जांच में खुलासा हुआ है कि, 12 बैंक खातों में से 6 बैंक खाते महज 13 माह के दरम्यान ही बंद हो गए, जबकि 6 बैंक खाते अभी-भी सक्रिय हैं। जांच में यह भी खुलासा हुआ कि जिन बैंक खातों को बंद किया गया था, उनमें से 6 बैंक खातों में 21,20,150 रूपए जमा किए गए थे, लेकिन बाद में इनकी निकासी कर ली गई थी। ध्यान रहे कि जिन दिन बैंक रोकड़ जमा कराए गए थे, उसके अगले दिन निकासी कर ली गई थी। बता दें कि 6 जिन खातों को बंद किया गया था, उनमे से 5 बैंक खातों को एक ही दिन यानी की 3 अक्टूबर 2017 को 1500 रूपए जमा कराकर खोला गया था। लेकिन 13 माह के उपरांत यानी की 3 नवंबर 2018 को खाता बंद कर दिया गया था। इसके बाद अन्य बंद किए गए बैंक खातों को 16 नवंबर 2018 को खोला गया था,जबकि 31 मार्च 2021 को इन खातों को बंद कर दिया गया था।

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उधर, बहुत सारे बैंक खाते खोले जाने को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। बता दें कि इस पूरे मामले को संज्ञान में लेने के उपरांत संजीव कुमार झा ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। उधर, रोकड़ निकासी का हवाला देकर अब इस  मामले की जांच एजेंसी से कराए जाने की मांग की गई है। आरोप लगाए गए हैं कि इन पैसों का उपयोग सरकारी विरोधी गतिविधियों मसलन सीएए कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन, कृषि कानूनों को लेकर विरोध प्रदर्शन, अब ऐसे में पूरे मामले की जांच के उपरांत वास्तविकता सतह पर आ पाएग। “जांच एजेंसी को जांच करनी चाहिए कि क्या नर्मदा जीवन शाला, जिसे करोड़ों का फंड मिला है, एक पंजीकृत निकाय है या इसे मेधा पाटकर द्वारा इन फंडों को चैनलाइज करने के लिए बनाया गया है? इसके साथ ही इस मसले को लेकर भी जांच की जाएगा कि आखिर इतने अल्प समय में इतने सारे बैंक खोलकर उसे बंद करने के पीछे क्या मकसद है। वहीं, इस मसलेकी बी जांच की जाए कि आखिर इन पैसों का इस्तेमाल कहां किया गया था। बहरहाल, उक्त प्रकरण की जांच जारी है। अब ऐसी स्थिति में पूरे मामले को लेकर क्या वास्तविकता आगामी दिनों में सतह पर सामने आती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।