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Ajab-Gajab: आखिर पता चल गया ‘बरमूडा ट्रायंगल’ के पीछे का छुपा रहस्य, एलियंस की दुनिया से जुड़ा है नाता !

Ajab-Gajab: साइंस की भाषा में भी इसे लेकर अलग-अलग तरह के तर्क मौजूद है लेकिन वैज्ञानिक आज भी इसके असली कारण का पता लगाने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं। विज्ञान की दुनिया में बरमूडा ट्रायंगल के बारे कई तरह से बताया गया है जिसे समझना कभी-कभी थोड़ा मुश्किल हो जाता है।

नई दिल्ला। बरमूडा ट्रायंगल के बारे में हम सालों से सुनते आ रहे हैं। इसके बारे में कई तरह के तर्क मौजूद है और कई तरह की भ्रांतियाँ भी फैली हुई हैं। लेकिन आज तक इसके पीछे का असली रहस्य कोई नहीं जान पाया है। साइंस की भाषा में भी इसे लेकर अलग-अलग तरह के तर्क मौजूद है लेकिन वैज्ञानिक आज भी इसके असली कारण का पता लगाने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं। विज्ञान की दुनिया में बरमूडा ट्रायंगल के बारे कई तरह से बताया गया है जिसे समझना कभी-कभी थोड़ा मुश्किल हो जाता है। तो चलिए आज हम आपको आसान भाषा में बताते हैं बरमूडा ट्रायंगल से जुड़े रहस्यों के बारे में।

क्या है बरमूडा ट्रायंगल ?

अटलांटिक सागर के बीचो-बीच 5 लाख स्क्वायर किलोमीटर का एक बड़ा हिस्सा बरमूडा ट्रायंगल कहलाता है। इस हिस्से को बरमूडा ट्रायंगल इसलिए भी कहते हैं क्योंकि इसकी आकृति एक त्रिभुज की तरह है। आजतक इस बात की कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिल पाई है लेकिन इस जगह से जुड़ी एक हैरान कर देने वाली बात ये है कि पिछले 100 सालों के दरमियां समंदर के इस हिस्से में 75 हवाई जहाज और 100 से ज्यादा छोटे-बड़े जहाज समा चुके हैं। यही नहीं 1000 से ज्यादा लोगों की मौत भी हो चुकी है। यही कारण है कि ये जगह दुनिया के लिए एक मिस्ट्री या रहस्य बनी हुई है। इसे डेविल ट्रायंगल के नाम से जाना जाता है।

क्यों गायब हो जाते हैं जहाज ?

समंदर के इस हिस्से में जहाजों के गायब होने की घटना कोई नई नहीं है। इन घटनाओं का कारण पता लगाने के लिए कई तरह के शोध भी किये गए लेकिन अभी तक इसका कोई स्पष्ट कारण पता नहीं चल पाया है। हालांकि, वैज्ञानिक ऐसी घटनाओं के लिए मौसम को जिम्मेदार मानते हैं। उनका कहना है कि बरमूडा ट्रायंगल के ऊपर खतरनाक हवाएं चलती हैं और इनकी रफ़्तार 170 मील प्रति घंटे की रहती है। जब कोई जहाज इन हवाओं की चपेट में आता है, अपना संतुलन खो देता है और उसका एक्सीडेंट हो जाता है। वैज्ञानिकों का ये भी कहना है कि इस जगह में बेहद भारी चीज़ों को भी अपनी और खिंच लेने की ताकत मौजूद है। ऐसी ताकत बादलों के हेक्सागोनल शेप की वजह से आती है। ये बादल ‘एयर बम’ बनाते है। यानि की हवा में ब्लास्ट जैसी शक्ति पैदा करते हैं। इसी के साथ इस जगह पर 170 मील प्रति घंटा की रफ़्तार से हवा भी चलती है। जब ये बादल और हवाएं एक साथ मिलकर जहाज से टकराती है तो उसे खींचकर समंदर में समां लेती है।

एलियंस से जुड़ा नाता?

बरमूडा ट्रायंगल को लेकर कई तरह के दावे किए जाते रहे हैं। जिनमे से कुछ साफ़ तौर पर अफवाह लगते हैं। बरमूडा ट्रायंगल को लेकर किए दावों में सबसे बड़ा दावा ये किया जाता रहा है कि इसे दूसरी दुनिया का रास्ता बताया गया है और इसे समय-समय पर एलियंस गतिविधियों से जोड़कर देखा जाता रहा है। कई लोगों का तो ये तक कहना है कि बरमूडा ट्रायंगल के ऊपर UFO मंडराते रहते हैं लेकिन इन सब बातों का कोई भी पुख्ता सबूत आज तक नहीं मिला है। ऐसे में इसे महज एक अफवाह कहना गलत नहीं होगा।