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Opposition Unity: पहले ममता और अब अखिलेश, लग गया कांग्रेस की विपक्षी एकजुटता की कोशिश में पलीता?

कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बीते दिनों कहा था कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए विपक्षी दलों में एकजुटता बहुत जरूरी है। खरगे ने अन्य विपक्षी दलों को कांग्रेस के साथ लाने के लिए ये भी कहा था कि ऐसी कोई बात नहीं कि मेरी पार्टी नेतृत्व करेगी या हमारा ही पीएम होगा।

नई दिल्ली। कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बीते दिनों कहा था कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए विपक्षी दलों में एकजुटता बहुत जरूरी है। खरगे ने अन्य विपक्षी दलों को कांग्रेस के साथ लाने के लिए ये भी कहा था कि ऐसी कोई बात नहीं कि मेरी पार्टी नेतृत्व करेगी। यहां तक कि खरगे ने पीएम पद के लिए राहुल गांधी का नाम तक आगे नहीं किया था, लेकिन अब उनकी इन सभी कोशिशों को पलीता लगता दिख रहा है। मल्लिकार्जुन खरगे के बयान के बाद भी कांग्रेस से तमाम विपक्षी दल कन्नी काटते दिख रहे हैं। ताजा मामला समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव का है। उन्होंने ऐसी बात कही है, जो गांधी परिवार के खिलाफ मानी जा रही है।

अखिलेश यादव ने ट्वीट में लिखा कि अमेठी में गरीब महिलाओं को देखकर उनको दुख हुआ। अखिलेश ने आगे लिखा कि अमेठी से हमेशा वीआईपी जीते और हारे हैं। फिर भी यहां ऐसा हाल है। अखिलेश ने ये भी लिखा कि अगली बार अमेठी बड़े लोगों को नहीं, बड़े दिलवालों को चुनेगा। इससे साफ है कि लोकसभा चुनाव में अखिलेश जरूर अमेठी से सपा का उम्मीदवार उतारेंगे। इससे पहले जब राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़ते थे, तो सपा ने कभी उनके खिलाफ प्रत्याशी नहीं उतारा था। साल 2019 में अमेठी की सीट राहुल गांधी ने बीजेपी की स्मृति ईरानी के हाथ गंवा दी थी। राहुल गांधी उस वक्त केरल के वायनाड से भी लोकसभा चुनाव लड़े थे और वहां से सांसद बने थे।

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कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे।

कांग्रेस और खरगे के विपक्षी एकता पर पहला पलीता टीएमसी सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी लगा चुकी हैं। पूर्वोत्तर के विधानसभा चुनाव नतीजे आने के बाद ममता ने एलान किया था कि 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी किसी भी दल या गठबंधन के साथ नहीं जाएगी। कुछ ऐसा ही विपक्ष के एक और नेता के. चंद्रशेखर राव के साथ भी है। तेलंगाना के सीएम और बीआरएस के चीफ चंद्रशेखर राव ने भी अब तक कांग्रेस के साथ जाकर चुनाव लड़ने पर चुप्पी साधे रखी है। ओडिशा में बीजू जनता दल (बीजेडी) के चीफ और सीएम नवीन पटनायक भी कांग्रेस से हमेशा दूरी बनाए रखते हैं। बीएसपी की नेता मायावती के भी कांग्रेस की विपक्षी एकजुटता वाली राह पर चलना मुश्किल ही है। हालांकि, सियासत में रंग कभी भी बदल जाते हैं, लेकिन फिलहाल तो विपक्ष की एकता का मसला स्याह ही दिख रहा है।