नई दिल्ली। शराब घोटाले की जांच के बाद अब दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी AAP के लिए नई मुसीबत आती दिख रही है। दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर LG वीके सक्सेना ने 1000 लो फ्लोर बसों की खरीद में कथित घोटाले की जांच सीबीआई से कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। सूत्रों के मुताबिक दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी ने इस बारे में एलजी के दफ्तर में प्रस्ताव भेजा था। जिसे मंजूरी दे दी गई है। ये सारी बसें डीटीसी DTC के लिए खरीदी गई थीं। बता दें कि बीजेपी के नेता पिछले 3 महीने से दिल्ली सरकार पर डीटीसी बसों की खरीद में घोटाला का आरोप लगा रहे थे। डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने इसके बाद कहा था कि बसों की खरीद में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। दिल्ली सरकार ईमानदार है। दिल्ली सरकार ने अब कहा है कि एलजी पर खुद भ्रष्टाचार का आरोप है। आप की सरकार ने कहा है कि टेंडर रद्द हो गए थे और बसें कभी खरीदी ही नहीं गई। केजरीवाल सरकार ने ये भी कहा है कि ये ध्यान भटकाने का तरीका है। एलजी को खुद नहीं पता कि वो किस चीज पर दस्तखत कर रहे हैं। सरकार की तरफ से तंज कसते हुए कहा गया कि दिल्ली को ज्यादा पढ़े-लिखे एलजी की जरूरत है।
बता दें कि बसों की खरीद मामले में जांच कमेटी ने दिल्ली सरकार से 400 फाइल मांगी थी। इस पर सिसोदिया ने कहा था कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के गुड गवर्नेंस, ईमानदारी और काम की राजनीति के मॉडल की पूरे देश में चर्चा हो रही है। उन्होंने ये भी कहा था कि दिल्ली में 2008 से 2015 तक कोई बस नहीं खरीदी गई। 2015 में सरकार में आने के बाद अरविंद केजरीवाल ने सार्वजनिक परिवहन सेवा को बेहतर करने के लिए बसों के खरीद के लिए जब भी टेंडर निकाला, तो बीजेपी के नेता अड़चन लगाने का प्रयास करते रहे, लेकिन उनके तमाम झूठ और अड़चनों के बावजूद दिल्ली सरकार दिल्ली की जनता के हितों के काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।
इससे पहले डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया समेत 16 आरोपियों पर सीबीआई जांच की मंजूरी एलजी ने दी थी। जिसके बाद सीबीआई ने सिसोदिया के घर समेत 21 जगह छापे मारे थे। सिसोदिया के बैंक लॉकर्स को भी जांच एजेंसी के अफसरों ने खंगाला था। सिसोदिया लगातार दावा कर रहे हैं कि शराब घोटाले के कोई सबूत सीबीआई को नहीं मिले। इसके बाद सीबीआई ने बाकायदा प्रेस रिलीज जारी कर कहा था कि अभी जांच चल रही है और किसी को भी क्लीनचिट नहीं दी गई है।