नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी को मात देने के लिए पूरी कोशिश की थी। हालांकि अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी अपने इन सपनों को पूरा नहीं कर पाई। चुनाव में मिली हार के बाद से ही हताश अखिलेश यादव भारतीय जनता पार्टी पर हमलावर है और बार-बार बीजेपी पर वार कर अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। विधानसभा चुनाव में मिली करारी के हार के बाद अब एक फिर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को झटका लगा है। इस बार अखिलेश यादव को ये झटका यूपी विधान परिषद में लगा है।
बता दें, विधान परिषद में सपा की नेता प्रतिपक्ष की मान्यता खत्म हो गई है 100 सदस्यों वाली विधान परिषद में 10 फीसदी से अधिक सदस्य रहने पर नेता प्रतिपक्ष पद होता है लेकिन समाजवादी पार्टी के अब 9 सदस्य रह गए हैं। 6 जुलाई को प्रदेश में विधान परिषद के 12 सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो गया था जिनमें से छह समाजवादी पार्टी के थे। इसके साथ ही बहुजन समाज पार्टी के तीन, भारतीय जनता पार्टी के दो और कांग्रेस के एक सदस्य का भी कार्यकाल भी समाप्त हो गया था। इन 12 सीटों पर चुनाव भी हो चुके हैं। चुनाव में बीजेपी के दोनों सदस्य दोबारा चुन गए, जिनमें डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और भूपेंद्र सिंह चौधरी शामिल हैं। वहीं बाकी कोई भी सदस्य की विधान परिषद में वापसी नहीं कर पाया है।
लाल बिहारी यादव की मान्यता खत्म
ध्यान हो समाजवादी पार्टी के नेता लाल बिहारी यादव के पास नेता प्रतिपक्ष का पद था लेकिन अब उनकी मान्यता समाप्त की जा चुकी है। फिलहाल, विधान परिषद में भाजपा के 73 सदस्य हैं। इसके बाद सपा के 9, बसपा के मात्र 1 सदस्य ही विधान परिषद में हैं।
विधान परिषद में सपा के ये है सदस्य
विधान परिषद में समाजवादी पार्टी के जो 9 सदस्य हैं उनमें से पांच सदस्य पुराने हैं। इसके अलावा चार सदस्य नए जीतकर आए हैं। नए जीतकर सामने आए सदस्यों में नरेश चन्द्र उत्तम, राजेन्द्र चौधरी, आशुतोष सिन्हा, डा. मान सिंह यादव व लाल बिहारी यादव के अलावा स्वामी प्रसाद मौर्य, शाहनवाज खान, मो. जासमीर अंसारी व मुकुल यादव शामिल हैं।