हजारीबाग। इतिहास रचते हुए झारखंड की एक बेटी ने अपने सपनों को पंख लगाए और देश की पहली महिला माइनिंग इंजीनियर बन गईं। मिलिए इनसे। इनका नाम है आकांक्षा कुमारी। वह झारखंड के बड़कागांव की निवासी हैं। सिंदरी के बिरसा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से उन्होंने माइनिंग यानी खदान में काम करने की इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है। फिलहाल आकांक्षा झारखंड के चूड़ी में सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड की कोयला खदान में तैनात हैं। उनकी इस प्रतिभा को केंद्रीय कोयला, खदान और संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी सराहा है। प्रह्लाद जोशी ने आकांक्षा के लिए ट्वीट करते हुए लिखा कि पीएम नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार लिंगभेद के बिना हर किसी के लिए रास्ते खोल रही है। अब कोयला खदान भी ऐसे ही क्षेत्र में शामिल हो चुका है, जहां आकांक्षा कुमारी कोल इंडिया की पहली माइनिंग इंजीनियर के तौर पर काम कर रही हैं।
Progressive Governance: To promote gender equality & generate more opportunities, Govt under PM @narendramodi ji allowed women to work in underground coal mines.
Ms Akanksha Kumari becomes the 1st woman mining engineer in @CoalIndiaHQ to work in an underground mine.@smritiirani pic.twitter.com/M58KQP1JCB
— Pralhad Joshi (@JoshiPralhad) August 31, 2021
आकांक्षा कुमारी के दृढ़ निश्चय और पहली महिला माइनिंग इंजीनियर बनने से उनके परिवार के लोग भी काफी खुश हैं। उनके पिता अशोक कुमार का कहना है कि बचपन से ही उनकी बेटी का कोयले से काफी लगाव था। घर के पास कोयला खदान होने की वजह से खदानों में आकांक्षा की रुचि जागी। पिता के मुताबिक आकांक्षा पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहीं और हर क्षेत्र में चुनौतियों को स्वीकार करने का हौसला और जज्बा उनके भीतर है।
आकांक्षा कुमारी ने अपनी स्कूली पढ़ाई हजारीबाग के नवोदय विद्यालय से पूरी की। उन्होंने इंजीनियरिंग की परीक्षा पास करने पर माइनिंग क्षेत्र में जाने का फैसला किया। साल 2018 में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने तीन साल तक राजस्थान में हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की बलारिया खदानों में भी काम किया। आकांक्षा जैसी बेटियां देश की अन्य बेटियों के लिए प्रेरणा बन रही हैं। वे दिखाती हैं कि कोई भी काम सिर्फ पुरुषों के एकाधिकार का मामला नहीं है।