नई दिल्ली। जनसंख्या की दृष्टी से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में एक बार फिर से चुनावी सरगर्मियां तेज हो रही हैं। दरअसल, सूबे में विधान परिषद की दो सीटों के लिए 11 अगस्त को उपचुनाव (By-Election) होना है। उपचुनाव से पहले ही विपक्ष में विराजमान ‘सपा’ प्रमुख अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि समाजवादी पार्टी के पास विधान परिषद की सीट जीतने के लिए पर्याप्त विधायकों की सख्यां नहीं है। गौरतलब है कि बीते सोमवार को विधान परिषद की दोनों सीटों पर नामांकन के लिए अधिसूचना जारी हो चुकी है। ऐसे में अगर ‘सपा’ को चुनाव जीतना है तो उसे कम से कम 200 वोटों की जरूरत पड़गी। इस हिसाब से माना जा रहा है कि सूबे में लगातार कई चुनाव हारने वाली समाजवादी पार्टी को एक बार फिर से मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
‘सपा’ के सामने ये है मुसीबत
‘सपा’ प्रमुख अखिलेश यादव के सामने इस उपचुनाव में एक नहीं बल्कि दो-दो लोग परिशानियां खड़ी कर रहे हैं। ओमप्रकाश यादव और शिवपाल यादव से अखिलेश की दूरी बना लेना ही अब उनके लिए सबसे बड़ी मुसिबत का सबब बन कर सामने आ रहा है। एक तरफ जहां अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव जसवंतनगर से विधायक हैं तो वहीं, दूसरी तरफ ओमप्रकाश राजभर के पास वर्तमान में 6 विधायक हैं। इन दोनों ने इससे पहले भी राष्ट्रपति चुनाव के वक्त समाजवादी पार्टी के विपक्ष के उम्मीदवार को वोट नहीं दिया था। ऐसे में दोनों नेताओं का समाजवादी पार्टी का साथ ना देना 11 अगस्त के उपचुनाव में अखिलेश के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है।
बीते समय में कई बार ओमप्रकाश राजभर और शिवपाल यादव दोनों के साथ ‘सपा’ की दुरियां बढ़ी हैं। अखिलेश यादव ने एक बार अपने चाचा शिवपाल यादव के बारे में बयान देते हुए कहा था कि वह हमेशा मेरे चाचा रहेंगे लेकिन उन्हें नहीं लगता कि मैं उन्हें उचित सम्मान दे पा रहा हूं, तो ऐसे में मैंने उन्हें आजाद कर दिया। वहीं, दूसरी तरफ ओमप्रकाश यादव पर तंज कसते हुए बीते दिनों अखिलेश ने कहा था कि जो भी बीजेपी को खुश करेगा उसे उसे सुरक्षा दी जाएगी।