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Ranchi: खदान पट्टे के बाद अब नए विवाद में घिरे झारखंड के CM हेमंत सोरेन, पत्नी को कई एकड़ जमीन देने का आरोप

हेमंत सोरेन की तरफ से पत्नी को इंडस्ट्रियल लैंड आवंटित होने पर बीजेपी के नेता और पूर्व सीएम रघुवर दास ने मीडिया से कहा कि सोरेन खुद उद्योग विभाग देखते हैं और बिजुपारा में जमीन देने के लिए उन्होंने पद का दुरुपयोग किया है। उन्होंने ये आरोप भी लगाया कि सीएम के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा और मीडिया सलाहकार अभिषेक प्रसाद ने भी झारखंड में खदानों के पट्टे हासिल किए हैं।

रांची। खदान का पट्टा लेने के मामले में घिरने के बाद अब झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन नए विवाद में फंस गए हैं। मामला 11 एकड़ के इंडस्ट्रियल लैंड का है। आरोप है कि सोरेन ने ये जमीन अपनी पत्नी को दे दी। जमीन रांची के बिजुपारा इलाके में है। आरोप इसलिए संगीन हैं, क्योंकि सीएम हेमंत सोरेन खुद उद्योग मंत्रालय देखते हैं। बीजेपी ने इस मामले में हेमंत सोरेन और झारखंड मुक्ति मोर्चा JMM से जवाब मांगा है। इससे पहले सोरेन को रांची में ही खदान का पट्टा आवंटित हुआ था और पिछले साल जून में लेटर ऑफ इंटेंट जारी किया गया था। मसला झारखंड हाईकोर्ट में गया था। बीते 8 अप्रैल को कोर्ट में सुनवाई होने पर झारखंड सरकार के वकील राजीव रंजन ने कहा था कि सरकार से गलती हुई और पट्टा वापस हो गया है।

raghubar das

हेमंत सोरेन की तरफ से पत्नी को इंडस्ट्रियल लैंड आवंटित होने पर बीजेपी के नेता और पूर्व सीएम रघुवर दास ने मीडिया से कहा कि सोरेन खुद उद्योग विभाग देखते हैं और बिजुपारा में जमीन देने के लिए उन्होंने पद का दुरुपयोग किया है। उन्होंने ये आरोप भी लगाया कि सीएम के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा और मीडिया सलाहकार अभिषेक प्रसाद ने भी झारखंड में खदानों के पट्टे हासिल किए हैं। दास ने कहा कि सरकार के रिकॉर्ड बताते हैं कि अभिषेक ने 8 अप्रैल 2021 को साहेबगंज जिले में शिवशक्ति एंटरप्राइज कंपनी के नाम से खदान का पट्टा लिया। फिर इसमें 90 लाख का निवेश भी किया। वहीं, पंकज मिश्रा को भी साहेबगंज में महाकाल स्टोन कंपनी के नाम पर खदान का पट्टा दिया गया।

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झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता सुप्रिय भट्टाचार्य ने कहा कि बीजेपी के इन आरोपों का जवाब हम देंगे। ये जवाब आज या कल में पार्टी की ओर से दिया जा सकता है। हालांकि, ये तय है कि खदान मसले की तरह इंडस्ट्रियल लैंड देने के मामले के भी कोर्ट जाने के आसार हैं और इसमें हेमंत सोरेन सरकार की किरकिरी होने के पूरे आसार हैं।