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UCC: अब कॉमन सिविल कोड की दिशा में बढ़ी मोदी सरकार, लागू होने पर मुस्लिमों के अलग नियम कायदे होंगे खत्म

बता दें कि मुसलमानों के लिए कायदे कानून बनाने वाले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड AIMIM ने कई बार कहा है कि किसी सूरत में समान नागरिक संहिता उसे मंजूर नहीं है। इसकी वजह ये है कि समान नागरिक संहिता लागू हुई, तो मुसलमानों के लिए नियम कायदे अलग से बनने बंद हो जाएंगे।

नई दिल्ली। राम मंदिर और जम्मू-कश्मीर जुड़े संविधान के अनुच्छेद 370 पर कदम उठाने के बाद केंद्र की मोदी सरकार अब अपने अगले मिशन में जुटती दिख रही है। सरकार अब बीजेपी के एजेंडे में शामिल समान नागरिक संहिता UCC को लागू कराने की दिशा में कदम बढ़ाने जा रही है। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने इसके संकेत दिए हैं। माना जा रहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ये लागू हो सकता है। समान नागरिक संहिता का तमाम मुस्लिम संगठन विरोध करते हैं। इसे देखते हुए मसले का हल निकालने की जिम्मेदारी 22वें विधि आयोग को दिया जा सकता है। बता दें कि कल ही राज्यसभा में समान नागरिक संहिता पर एक निजी बिल पेश किया गया था।

kiran rijiju

पिछले साल संसद के शीतकालीन सत्र के समय लोकसभा में बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे ने समान नागरिक संहिता का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट समेत देश की तमाम अदालतों ने भी समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए कहा है। इसके अलावा देश के संविधान के नीति निर्देशक तत्वों में भी कहा गया है कि सरकार समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में कदम उठाएगी। निशिकांत दुबे के इस सवाल पर इस साल 31 जनवरी को कानून मंत्री ने कहा है कि संविधान का अनुच्छेद 44 सभी नागरिकों के लिए एक समान संहिता लागू करने के बारे में कहता है। इसके सभी प्रावधानों का विस्तृत अध्ययन करने की जिम्मेदारी विधि आयोग को दी गई थी। आयोग का काम 31 अगस्त 2018 को खत्म हो गया। अब ये मसला नए विधि आयोग को दिया जा सकता है।

बता दें कि मुसलमानों के लिए कायदे कानून बनाने वाले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड AIMPLB ने कई बार कहा है कि किसी सूरत में समान नागरिक संहिता उसे मंजूर नहीं है। इसकी वजह ये है कि समान नागरिक संहिता लागू हुई, तो मुसलमानों के लिए नियम कायदे अलग से बनने बंद हो जाएंगे। देश के सभी नागरिकों के लिए एक जैसा कानून होगा। इससे मुस्लिमों की शादी और तलाक के मसले भी अलग नहीं रह जाएंगे। अभी मुसलमानों में शादी और तलाक के लिए शरीयत के मुताबिक कदम उठाए जाते हैं।