नई दिल्ली। क्या कांग्रेस सरकार द्वारा बनाया गया अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय अब खत्म हो जाएगा? क्या मोदी सरकार अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय होगा भंग? ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने राज्यसभा कैंडिडेट की लिस्ट जारी की थी। चौंकाने वाली बात ये है कि पार्टी ने किसी भी मुस्लिम चेहरे को राज्यसभा का टिकट नहीं थमाया है। जिसके बाद अब ये सवाल उठ रहा है कि राज्यसभा सांसद और केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के भविष्य का क्या होगा। दरअसल, केंद्रीय मंत्री नकवी का कार्यकाल बतौर राज्यसभा सदस्य अगले महीने जुलाई को खत्म होने जा रहा है, चूंकि वह केंद्रीय मंत्री हैं, इसके लिए उन्होंने संसद के किसी भी सदन का सदस्य होना अनिवार्य है। ऐसे में अब उनको अपनी मंत्री पद भी छोड़ना पड़ सकता है।
ऐसे में सियासी गलियारों में नकवी के जरिए भाजपा में मुस्लिम राजनीति और राजनेताओं की बनने वाली जगह के साथ-साथ उनकी स्वीकार्यता जैसे तमाम मुद्दों पर बहस शुरू हो गई है। राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तो इस बात की भी हैं कि क्या मोदी सरकार अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय महज जैसे डेढ़ दशक पहले बनाए गए मंत्रालय को भी समाप्त कर सकती है। प्रारंभिक प्रश्नों की प्रासंगिकता इसलिए अहम हो जाती हैं, चूंकि वर्ष 2017 में गुजरात में विश्व हिंदू परिषद द्वारा अल्पसंख्यक मंत्रालय को भंग किए जाने की मांग उठाई जा चुकी है। आपको बता दें साल 2006 में भूतपूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन ने अल्पसंख्यक मंत्रालय का प्रादुर्भाव किया था, ताकि मुस्लिम समेत अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के बीच खुद को उनका हितैषी साबित करना चाह रही थी। विश्व हिंदू परिषद के मुताबिक, भूतपूर्व संप्रग सरकार ने तुष्टिकरण की राजनीति करने के ध्येय से उक्त मंत्रालय का गठन किया था।
वे कई बार इस बात को दोहरा चुके हैं कि अल्पसंख्यक मंत्रालय की वर्तमान में परिदृश्य कोई आवश्यकता नहीं है। इन सभी वक्तव्यों के दृष्टिगत उपरोक्त मंत्रालय को भंग किए जाने की चर्चाएं प्रबल होती जा रही है। ऐसी स्थिति में अब उपरोक्त मामले के संदर्भ में क्या कुछ कार्रवाई की जाती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। तब तक के लिए आप देश-दुनिया की तमाम बड़ी खबरों से रूबरूहोने के लिए आप पढ़ते रहिए। न्यूज रूम पोस्ट.कॉम