नई दिल्ली। बिहार में आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस के सत्तारूढ़ महागठबंधन में जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा यानी ‘हम’ भी शामिल थी। तीन दिन पहले जीतन राम मांझी ने महागठबंधन से अलग होने का फैसला किया। उनके बेटे ने कहा कि हमारी पार्टी को जेडीयू में विलय कराने का दबाव डाला जा रहा था। इस वजह से महागठबंधन से अलग हटने का फैसला किया। जीतन राम मांझी के महागठबंधन से अलग होने के बाद ये चर्चा जोरों पर है कि इससे सत्तारूढ़ दलों को नुकसान होगा या नहीं? इसका जवाब एक सर्वे में आया है। महागठबंधन से जीतन राम मांझी के हम के अलग होने पर आम लोगों की राय है कि इससे महागठबंधन को नुकसान हो सकता है। आज जीतन राम मांझी अपनी पार्टी की बैठक भी करने वाले हैं। जिसमें आगे के कदम पर वो फैसला लेंगे।
सी-वोटर ने इस मामले में सर्वे कराया है। इस सर्वे में 43 फीसदी लोगों ने राय रखी है कि जीतन राम मांझी के अलग होने से महागठबंधन को नुकसान होगा। वहीं, 33 फीसदी लोगों का मानना है कि महागठबंधन पर जीतन राम मांझी के अलग होने का कोई असर नहीं पड़ने वाला है। जबकि, 24 फीसदी लोगों ने इस मुद्दे का पता न होने की बात कही है। इससे पहले बिहार के सीएम और जेडीयू नेता नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी के बारे में कहा था कि वो विपक्ष की जासूसी करते थे। वहीं, जीतन राम मांझी ने कहा था कि नीतीश कुमार फिर सीएम बनने के लिए एक बार फिर बीजेपी के पाले में खड़े हो सकते हैं।
बिहार के सीएम नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बीजेपी विरोधी विपक्षी दलों को एकजुट करने में लगे हैं। 23 जून को पटना में 15 विपक्षी दलों की बैठक भी है। जीतन राम मांझी का आरोप है कि विपक्षी दलों की बैठक में उनको बुलाया नहीं गया था। वहीं, जेडीयू की तरफ से कहा गया था कि मांझी की पार्टी महागठबंधन में थी। वो चाहते, तो खुद विपक्षी दलों की बैठक में शामिल हो सकते थे।